छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : एमजीएम हॉस्पिटल में इलाज कराने वाले पेशेंट्स को ना तो सभी दवाइयां उपलब्ध कराई जा सकती है और ना ही मेडिकल जांच की सुविधा 24 घंटे मुहैया कराई जा सकती है, इस बात से पेशेंट्स को निराशा तो जरुर होगी, पर इस सच्चाई को अब हॉस्पिटल मैनेजमेंट भी स्वीकार कर रहा है। झारखंड ह्यूमन राइट्स कॉंफ्रेंस द्वारा आरटीआई के जरिए मांगी गई जानकारी पर हॉस्पिटल मैनेजमेंट की तरफ यह जवाब दिया गया है।

नही उपलब्ध हो सकती सभी दवाइयां

दवाइयों की कमी एमजीएम हॉस्पिटल की एक बड़ी समस्या रही है और वर्तमान व्यवस्था में इसकी कमी दूर होने के कोई आसार भी नजर नही आ रहे है। आरटीआई के जरिए दवाइयों और 24 घंटे मेडिकल जांच की व्यवस्था के संबंध में मांगी गई जानकारी में संसाधनों की कमी का हवाला देते हुए ये सुविधाएं मुहैया कराने में असमर्थता जताई गई है। हॉस्पिटल मैनेजमेंट द्वारा दिए गए जवाब में कहा गया है किए गवर्नमेंट द्वारा इनडोर पेशेंट की दवाइयों के लिए प्रति पेशेंट 20 रुपए और ओपीडी के लिए प्रति पेशेंट 5 रुपए का फंड दिया जाता है। ऐसे में निर्धारित दर पर सभी दवाइयां हॉस्पिटल में उपलब्ध कराना संभव नही है। वही कहा गया है कि पैथोलॉजिकल लैब में सिर्फ तीन टेक्निशियन और एक डॉक्टर कार्यरत है, जिसकी वजह से 24 घंटे सेवा की व्यवस्था संभव नही है।

व्यवस्था से नही मिलती संतुष्टि

पेशेंट्स की सुविधा के संबंध में एक अन्य सवाल के जवाब में मैनपावर की कमी की बात कहते हुए पेशेंट्स को उपलब्ध व्यवस्था से संतुष्टि ना मिलने और बाहर से सहारा लेने की बात कही गई है। वही बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल की व्यवस्था के सवाल पर आवंटन की कमी की बात कहते हुए पूरी व्यवस्था के लिए वर्तमान में चालिस लाख रुपए और प्रति वर्ष छह लाख रुपए खर्च होने का अनुमान बताया गया है।