- रेलवे अधिकारियों की मिलीभगत से हो रही करोड़ों की हेराफेरी, रेलवे की गोपनीय रिपोर्ट में खुलासा

- प्लेटफॉर्मो में घंटों पड़ा रहता लीज का माल, यात्रियों को होती असुविधा

- शहर के एक बड़े गुटखा व्यापारी का बिना लिखा पढ़ी के चोरी से जाता ट्रेनों में माल

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KANPUR। सेंट्रल स्टेशन में हर महीने करीब 20 करोड़ रुपए का चूना रेलवे को लग रहा है। रेलवे की एक गोपनीय रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। आरपीएफ, जीआरपी और रेलवे के पार्सल विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से ये 'खेल' खेला जा रहा है। आई नेक्स्ट के हाथ लगी रेलवे की गोपनीय रिपोर्ट में साफ लिखा है कि रेलवे विजिलेंस भी व्यापारियों, दलालों की मदद से चल रहे इस रैकेट को क्यों नहीं पकड़ रहा है जबकि इससे रेलवे को हर महीने बड़ा घाटा हो रहा है।

हर महीने दो करोड़ की चपत

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्लेटफार्मो में घंटों पड़े रहने वाले लीज के पहाड़ नुमा बोरों ने यात्रियों का प्लेटफार्म पर चलना दुश्वार कर दिया है। पार्सल में कार्यरत पल्लेदारों को जरा सा लालच दिया जाता है, जिसके चलते मजबूरी में रेलवे ट्रैक को पार कर माल ढो रहे हैं। जबकि नियमानुसार लीज का माल सब-वे से आना चाहिए। रिपोर्ट की माने तो पार्सल कोचों से बड़ी मात्रा में अनाधिकृत माल का सेंट्रल में आवागमन होता है। जिसकी लिखा पढ़ी कहीं नहीं होती है। यह सारा 'खेल' रेलवे के अधिकारियों को अपने साथ मिला कर सालों से खेला जा रहा है। हाल ये है कि रोजाना करीब एक करोड़ का नुकसान रेलवे को कानपुर सेंट्रल से हो रहा है। लेकिन रिपोर्ट में महीने में 20 करोड़ बताया गया है। जबकि इस धंधे से जुड़े एक बड़े व्यापारी ने नाम न पब्लिश करने की शर्त पर बताया कि शहर के बड़े-बड़े पान मसाला, होजरी व्यवसायी इस रैकेट के माध्यम से करीब रोजाना सेल्स टैक्स और रेलवे के पार्सल विभाग को एक करोड़ का चूना लगा रहे हैं उनका काम चंद लाख रुपए देकर हो रहा है, जिससे वो मोटा मुनाफा कमा रहे हैं। रेलवे की गोपनीय रिपोर्ट में इस रैकेट के पूरे सिस्टम का पर्दाफाश किया गया है।

अनवरगंज में भी करोड़ों की टैक्स चोरी

आई नेक्स्ट ने पड़ताल की तो अनवरगंज स्टेशन में भी विभिन्न ट्रेनों से करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी कर ट्रेनों से माल आता है। इसका खुलासा खुद एक रेलवे इम्प्लाई ने किया। उसने बताया कि जिसमें सबसे अधिक मात्रा गुटखे की होती है। बता दें कि एक वर्ष पूर्व ही रेलवे की विजलेंस टीम ने स्टेशन में लाखों रुपये का माल पकड़ा था। जोकि अनाधिकृत तरीके से ट्रेनों से लाया गया था।

पेट पालने को जान से खेलते पल्लेदार

आई नेक्स्ट ने पड़ताल के दौरान पाया कि पार्सल विभाग में लीज संचालक के अंडर में काम करने वाले दर्जनों पल्लेदार अपना व अपने परिवार का पेट पालने को अपनी जान जोखिम में डाल रेलवे ट्रैक से मार पार करते है। अगर व सब-वे से माल पार करते है तो लीज संचालक उनको काम ही नहीं देता है।

होजरी, गुटखा का बढ़ा कारोबार

सोर्सेज की माने को सेंट्रल स्टेशन में गुटखा, होजरी व इलेक्ट्रानिक उपकरणों का बढ़ा कारोबार है। जिसके चलते शहर से बढ़ी मात्रा में इस माल को एक्सपोर्ट व इम्पोर्ट किया जाता है। सोर्सेज ने बताया कि शहर से ट्रेनों के माध्यम से चोरी से उन राज्यों में गुटखा पहुंचाया जाता है। जहां गुटखा बैन है।

एक बढ़ा गुटखा कारोबारी करता ऑपरेट

सेंट्रल स्टेशन के पार्सल विभाग के एक बढ़े अधिकारी ने दस्तावेज दिखा नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शहर का एक बढ़ा गुटखा कारोबारी पार्सल के अरबों रुपये के खेल को ऑपरेट करता है। किस माल को चोरी से किस ट्रेन से कहां पहुंचाना है। यह सब उसके हाथ में ही होता है। जिसका मासिक पैकेज भी वह अधिकारियों तक पहुंचाता है।

कोट

लीज संचालक मैनू फ‌र्स्ट टॉक समय से दे देते हैं। अगर पार्सल में किसी तरह की गड़बड़ी है तो इसकी जांच करवाकर कार्रवाई की जाएगी। रिपोर्ट के बारे में मैं कुछ नहीं बता सकता।

एके राय, चीफ पार्सल सुपरवाइजर, सेंट्रल स्टेशन

क्या है नियम, क्या होता 'खेल

- 18 व 23 टन के पार्सल कोच, लादा जाता 50 से 55 टन से अधिक

- 50 किलो का होना चाहिए एक नग, होता है 80 किलो से अधिक

- कोच में नग चढ़ाने से पहले लीज में जाने वाले माल की मैनू फ‌र्स्ट चीफ पार्सल सुपरवाइजर को मिलना चाहिए लेकिन पार्सल कोच में पूरा माल लोड होने के बाद ही सीपीएस को दी जाती मैनूफस्ट

- माल प्लेटफार्म में ट्रेन के आने के आधे घंटे पहले लोडिंग को आना चाहिए, हकीकत घंटों प्लेटफार्म में पड़ा रहता माल

- प्लेटफार्म में निर्धारित समय के अधिक समय तक माल पड़े रहने पर लीज संचालक को रेलवे को देना होता प्लेटफार्म का किराया, हकीकत माल घंटों प्लेटफार्म पर पड़ रहता है जिसका कोई अतिरिक्त भुगतान रेलवे को नहीं होता है।

- सब-वे के रास्ते से माल ढोना, जान जोखिम में डाल रेलवे ट्रैक से ढोते माल

चार प्रकार का होता लगेज किराया

- राजधानी रेट

- लगेज रेट

- पैसेंजर रेट

- सुपरफास्ट रेट