बिग रोल में दिखेंगी 70 टेक्नोलॉजी

'इन्फ्रास्ट्रक्चर इंटेलिजेंस डॉट कॉम' की रिपोर्ट में यह उम्मीद जताई गई है कि सिटी परफॉर्मेंस टूल के जरिए बदलाव की इस मुहिम में मुख्य तीन सेक्टर- ट्रांसपोर्ट, बिल्डिंग और एनर्जी समेत तकरीबन 70 टेक्नोलॉजी लीवर्स बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। इसमें कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में होने वाली बढ़ोतरी से लेकर एयर क्वालिटी व जॉब क्रिएशन जैसी अनेक चीजें शामिल हैं। हालांकि, दुनियाभर में स्मार्ट सिटी की राह में अनेक चुनौतियां हैं, लेकिन ऐसी बहुत सी तकनीके आ चुकी हैं, जिनके विकसित स्वरूप के माध्यम से भविष्य में शहरों का स्वरूप बिलकुल बदल जाएगा।

स्मार्ट सिटी : तकनीकें जो भविष्‍य में बदल देंगी शहरों की दुनिया

1. सेंसिंग

रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) और वायरलेस सेंसर नेटवक्र्स में इस्तेमाल होने वाले सेंसर्स और वीडियो ऑथेंटिकेशन टेक्नोलॉजी के जरिए जमीनी इलाकों, समुद्र और आउटर स्पेस में होने वाली डिफरेंट एक्टीविटीज पर नजर रखी जाएगी और बड़ी तादाद में आंकड़े मुहैया कराए जाएंगे। जिससे संबंधित आंकड़ों के जरिए शहरी जीवन को सुधारा जाए। इन आंकड़ों को विजुअलाइच्ड करते हुए भूकंप और इस तरह की आपदाओं को समय रहते जाना जा सकेगा। हाईवे के किनारे ऑप्टिकल केबल सेंसर्स लगाए जा सकते हैं। जो  अनेक गतिविधियों की निगरानी करेंगे। साथ ही एडवांस्ड बायोमेट्रिक पहचान के लिए वीडियो डाटा का इस्तेमाल किया जा सकता है।

2. ऑथेंटिकेशन   

सेंसिंग से हासिल आंकड़ों को उनकी लोकेशन और कंडीशन की वेलिडिटी को चेक करते हुए उसे पुख्ता किया जाता है। चूंकि, स्मार्ट सिटी में अर्बन ऑथेंटिकेशन डाटा की संख्या बहुत ज्यादा होगी। लिहाजा, इनकी प्रोसेसिंग के लिए एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे आंकड़ों को रीयल-टाइम में पुख्ता करने में आसानी होगी।

3. मॉनीटरिंग

सेंसिंग और ऑथेंटिकेशन से प्राप्त आंकड़ों में से रीयल टाइम में सूचनाएं हासिल करने के लिए उनकी लोकेशन संबंधी विसंगतियों की पहचान के लिए इसकी मॉनीटरिंग की जाएगी। उदाहरण के लिए, जैसे ही कहीं पर कोई विसंगति होगी तो उसे रीयल-टाइम में जाना जा सकेगा और क्राइम, एक्सीडेंट या किसी आपदा की स्थिति में तत्काल प्रभावी उपाय किए जाएंगे।

4. कंट्रोल

मॉनीटर किए जा रहे आंकड़ों को रीयल-टाइम में एनालाइज किया जाएगा। इससे सूचनाओं पर अधिकतम नियंत्रण होगा और जरूरत के मुताबिक उसे कहीं और भेजा जा सकता है। उदाहरण के लिए लोकेशन इन्फॉर्मेशन के जरिए किसी बिल्डिंग में एयर कंडीशन को कंट्रोल किया जा सकता है। इससे पर्यावरण को बेहतर बनाये रखा जा सकता है।

5. क्लाउड कंप्यूटिंग

लोकल डिजास्टर को समझने में सक्षम मजबूत रिमोट बैकअप  फंक्शंस इंस्टॉल किए जाएंगे। जो आंकड़ों के आधार पर सटीक लोकेशन व जरूरी सूचना मुहैया कराएगा। ऐसा होने से उस आपदा से निपटने केलिए क्विक व फ्लेक्सिबल सर्विसेज अवेलेबल हो सकेंगी।

स्मार्ट और बेहतर तकनीकें

फिलहाल, भारत में आंकड़ा 125 करोड़ के पार पहुंच चुका है। साल 2030 तक आबादी चरम पर होगी। जाहिर है इतनी ज्यादा और सघन आबादी को सभी प्रकार की सुविधाएं मुहैया कराने के लिए स्मार्ट और बेहतर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा। अनेक तकनीकों  के इस्तेमाल के  जरिए ऐसा मुमकिन होगा।

- मोबाइल एप्स : पार्किंग स्पॉट की जानकारी हासिल करने समेत अन्य चीजों के लिए मोबाइल एप्स का इस्तेमाल बढ़ जाएगा।

- हाईटेक वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम : इसमें खास तरीके से रिसाइकिल किए गए कूड़े को डिफरेंट प्रोडक्ट्स बनाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाएगा। कूड़े के एवज में पेमेंट मिलने पर लोग इसे सही ढंग से निस्तारित करेंगे।

- सिटी गाइड एप्स : इसमें सिटी के प्रॉमिनेंट प्लेसेट व रीयल-टाइम ट्राफिक डाटा मुहैया कराया जाएगा। दुनिया के अनेक शहरों में इसका इस्तेमाल शुरू हो चुका है।

- वाई-फाई : पूरे शहर में वाई-फाई की सुविधा मुहैया कराई जा सकती है।

- एनर्जी एफिशिएंट बिल्डिंग : शहरों की हाउसिंग व कॉमर्शियल बिल्डिंग्स एनर्जी एफीशिएंट होंगी। जिससे एनर्जी कंजम्प्शन कम हो और पर्यावरण पर इसका कोई बुरा असर नहीं हो।

- क्राइसिस रिस्पॉन्स सिस्टम : डिफरेंट एप्स व सोशल मीडिया बेस्ड इमरजेंसी अलर्ट के जरिए क्राइसिस रिस्पॉन्स सिस्टम को डेवलप किया जाएगा। जिससे जरूरी सूचनाओं तक सभी नागरिकों की पहुंच कायम हो सके। आपराधित घटना की सूचना आसपास के लोगों को तुरंत मिल सकेगी। रियल टाइम डाटा मिलने पर पुलिस को भी क्राइम पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी।

- चार्जिंग स्टेशन : पब्लिक प्लेस पर सोलर पॉवर बेस्ड चार्जिंग स्टेशन होंगे।

- स्मार्टफोन : ज्यादातर सिस्टम को स्मार्टफोन के जरिए जोड़ा जाएगा। जिससे लोगों को आसानी से हर सिस्टम का बेनिफिट मिल सके।

- इलेक्ट्रिक वेहिकल : ऐसी गाडिय़ों से सिटी में पॉल्युशन कम होगा।

- पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम : पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को विकसित किया जाएगा। इससे सड़कों पर प्राइवेट वेहिकल्स का दबाव कम होगा।

- वॉटर रिसाइकिलिंग सिस्टम : पानी की कमी को पूरा करने के लिए इसे रिसाइकिल करते हुए दोबारा से इस्तेमाल में लाने योग्य बनाया जाएगा।

- राइड-शेयरिंग प्रोग्राम : ऑन-रोड गाडिय़ों का दबाव कम करने के लिए एक ही दिशा में जाने वाले यात्री आपस में कार-शेयरिंग करें। इसके  लिए प्रभावी तरीके अपनाए जाएंगे।

कैसी होगी 2050 की दुनिया?

इसमें कोई संदेह नहीं है कि शहरों को स्मार्ट बनने की जरूरत है। एक अनुमान के मुताबिक साल 2050 तक दुनिया की 75 परसेंट आबादी शहरों में निवास करेगी। जिससे यातायात व्यवस्था, आपातकालीन सेवाओं और अन्य व्यवस्थाओं पर जबर्दस्त दबाव होगा। ऐसा नहीं कि भारत स्मार्ट सिटी की ओर अग्रसर होने वाला पहला देश है। इससे पहले से कई देशों में स्मार्ट सिटी परियोजनाएं बेहतरीन तरीकेसे क्रियान्वित की जा चुकी हैं। भारत में भी अगर इसे संजीदगी से अमल किया जाए तो यह मोदी सरकार की बेहतरीन पहल कही जा सकती है। बशर्ते सरकार सामंजस्य बिठाने के लिए गांवों को भी स्मार्ट बनाने का प्रयास करे।  

स्मार्ट सिटी : तकनीकें जो भविष्‍य में बदल देंगी शहरों की दुनिया

क्या-क्या हैं स्मार्ट सिटी के मकसद?

- शहरी जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना

- स्वच्छ पर्यावरण उपलब्ध कराना

- परिवहन व्यवस्था को बेहतरीन बनाना

- शहरों की छवि खराब करती झुग्गी झोपडिय़ों को हटाना

- झुग्गी में रहने वाले लोगों को वैकल्पिक सुविधा मुहैया कराना

- शहरी संसाधनों, सोर्सेज और बुनियादी संरचनाओं का सक्षम ढंग से विकास करना

- 2022 तक सभी को आवास उपलब्ध कराना

क्या-क्या है स्मार्ट सिटी मिशन में?

- इस मिशन में 100 शहरों को शामिल किया जाएगा।

- इसकी अवधि पांच साल (2015-16 से 2019-20) की होगी।

- पांच साल पूरे होने पर मंत्रालय द्वारा मूल्यांकन किया जाएगा और तब तय किया जाएगा कि इस मिशन को कहां-कहां चलाया जाए।

- 100 स्मार्ट शहरों की कुल संख्या एक समान मापदंड के आधार पर राच्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच वितरित किया गया है।

- इस वितरण फॉर्मूले का इस्तेमाल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अमृत के तहत धनराशि के आवंटन के लिए भी किया गया है।

- स्मार्ट सिटी मिशन एक केंद्र प्रायोजित योजना केरूप में संचालित किया जाएगा।

- पांच साल में 48,000 करोड़ रुपये, करीब प्रति वर्ष प्रति शहर 100 करोड़ रुपये औसत दिए जाएंगे।

स्मार्ट सिटी : तकनीकें जो भविष्‍य में बदल देंगी शहरों की दुनिया

सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के शहर

- शहरी विकास मंत्रालय ने यह तय कर दिया है कि देश के किस राच्य से कितने शहर स्मार्ट सिटीज प्रोजेक्ट के लिए चुने जाएंगे।

- स्मार्ट शहरों की सूची में सबसे ज्यादा 13 स्मार्ट सिटीज उत्तर प्रदेश में होंगी।

- तमिलनाडु के 12 और महाराष्ट्र के 10 शहरों को स्मार्ट सिटीज के तौर पर विकसित किया जाएगा।

- मध्य प्रदेश के 7 और गुजरात और कर्नाटक के छह-छह शहर स्मार्ट सिटी बनेंगे।

जो स्मार्ट सिटी नहीं उन्हें दिया जाएगा अमृत

कुल 100 स्मार्ट सिटीज के अलावा देशभर से अब तक 476 शहरों की पहचान अमृत योजना के लिए की गई है। ये सारे शहर कम से कम एक लाख की आबादी वाले होंगे। इन शहरों को बुनियादी सुविधाएं विकसित करने के लिए केंद्र सरकार की तरफ  से मदद मिलेगी।

क्या हैं चुनौतियां?

- भारत के तमाम शहर ऐसे हैं, जिनकी सही मैपिंग तक उपलब्ध नहीं है।

- तमाम शहरों में अवैध कब्जों की भरमार है। सीवर लाइनें बेतरतीब बिछी हैं।

- शहरों का बेतरतीब निर्माण हो चुका है।

- ज्यादातर शहरों के लोग सड़क पर कूड़ा फेंकने के आदी हो चुके हैं।

- तमाम शहरों के लोग कटिया डालकर बिजली चलाने में पारंगत हैं।

- ज्यादातर शहरों के इलाके गलियों में बसे हैं, उन्हें कैसे स्मार्ट बनाया जाए।

- अधिकांश शहरों में लोग ट्रैफिक लाइट का पालन नहीं करते। क्या स्मार्ट बनने के बाद करेंगे।

- यूपी, एमपी, बिहार में बिजली की बहुत कमी है। शहर तो तब स्मार्ट होगा जब बिजली होगी।

- शहर स्मार्ट बन गया तो हर इमारत, बिजली के खंभे और पाइप पर लगे सेंसर्स पर कौन निगरानी रखेगा।

- हर व्यवस्था को बेहतरीन ढंग से चलाने के लिए यंत्रों को कौन नियंत्रित करेगा।

National News inextlive from India News Desk