- तीन अलग-अलग मामलों में कोर्ट ने दिया आदेश

ALLAHABAD:

धोखाधड़ी के आरोपी परशुराम कुम्हार व मनोज कुमार को हाईकोर्ट ने 11 अप्रैल 2014 को आदेश दिया था कि वह तीस दिन के अंदर संबंधित न्यायालय में आत्म समर्पण करें। लेकिन अभियुक्तों ने डेढ़ वर्ष बाद भी कोर्ट में आत्मसमर्पण किया। जिस पर कोर्ट ने दोनों की अंतरिम जमानत अर्जी खारिज कर दी।

धोखाधड़ी के लंबित हैं मुकदमे

धोखाधड़ी के एक अन्य मामले में कोर्ट ने अभियुक्त सरोज सिंह व कमल भान सिंह की अंतरिम जमानत अर्जी खारिज कर दी। सहायक शासकीय अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि कमलभान सिंह अधिवक्ता हैं। इन्हें बार कौंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश ने वकालत करने के अधिकार को समाप्त कर दिया है। अभियुक्त के विरूद्ध धोखाधड़ी के लगभग नौ मुकदमे लम्बित हैं। आधार पर्याप्त न पाए जाने पर अपर जिला जज मलखान सिंह ने अंतरिम जमानत अर्जी खारिज कर दी।

तमंचा से कर दिया था फायर

इसी न्यायालय ने रंगदारी मांगने के आरोपी सनी सोनकर निवासी थाना जार्ज टाउन की जमानत अर्जी खारिज कर दी। सहायक शासकीय अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि गुड्डू सोनकर अंडा की दुकान लगाता है। अभियुक्त व उसके भाई ने रंगदारी में पांच सौ रुपया मांगा। रुपया नहीं मिलने पर तमंचा से फायर करके घायल कर दिया।

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तहसीलदार सोरांव से स्पष्टीकरण मांगा

ALLAHABAD:

अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अनिल कुमार सिंह ने तहसीलदार सोरांव द्वारा बराबर की जा रही नाफरमानी पर 16 जनवरी को कोर्ट में प्रस्तुत होकर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है। चेतावनी दी है कि यदि कोर्ट में हाजिर नहीं होते हैं तो प्रकरण उच्च न्यायालय को संदर्भित किया जाएगा।

मामला यह है कि कोर्ट ने अभियुक्त मान सिंह के जमानतदारों की हैसियत के बारे में आख्या मांगी थी। कोर्ट ने रिमाइंडर भी भेजा लेकिन कोई जवाब नहीं आया। जबकि अभियुक्त जेल में बंद है।