-जस्टिस विनीत सरन की अध्यक्षता में बनी पांच जजों की कमेटी भंग, विधि मंत्रालय को भेजा पत्र

केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद के पत्र पर पश्चिम में खंडपीठ के बाबत राय देने से हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डा। डीवाई चंद्रचूड़ ने इंकार कर दिया है। उन्होंने विधि मंत्रालय को पत्र भेजकर साफ कर दिया है कि चूंकि राज्य सरकार की ओर से उन्हें इस बारे में कोई प्रस्ताव नहीं मिला है, इसलिए कोई राय दिया जाना संभव नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने जस्टिस विनीत सरन की अध्यक्षता में बनी पांच जजों की कमेटी भंग कर दी है।

पत्र को लेकर बिफरे से वकील

बतौर विधिमंत्री अपने कार्यकाल में रवि शंकर प्रसाद ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर पश्चिम में खंडपीठ के बाबत राय मांगी थी। उन्होंने अपने पत्र में पूर्व विधि मंत्री कपिल सिब्बल के लिखे पत्र का हवाला भी दिया था। इसके सार्वजनिक हो जाने के बाद अधिवक्ताओं के आंदोलन ने और तूल पकड़ लिया था और हाईकोर्ट बार की ओर से ब्भ् सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य न्यायाधीश से मुलाकात भी की थी। उन्होंने बताया था कि राय देने के लिए पांच जजों की कमेटी बनाई गई है, जिसके अध्यक्ष न्यायामूर्ति विनीत सरन हैं। कमेटी ने आश्वस्त किया था कि बार को विश्वास में लिए बिना कोई रिपोर्ट नहीं भेजा जाएगी। गुरुवार को भी अधिवक्ता आंदोलनरत रहे और उन्होंने यह प्रस्ताव पारित किया कि चूंकि कई मुख्य न्यायामूर्ति खंडपीठ से इनकार कर चुके हैं, इसलिए इसी आधार पर मुख्य न्यायाधीश भी केंद्रीय मंत्री के पत्र का जवाब दें। महानिबंधक प्रत्यूष कुमार ने बताया कि इस मामले को लेकर मुख्य न्यायाधीश ने गुरुवार को नौ जजों की प्रशासनिक कमेटी की बैठक बुलाई थी। इसमें विधि मंत्रालय को पत्र भेजने का फैसला किया गया।

राय दिया जाना संभव नहीं

महानिबंधक के अनुसार मुख्य न्यायाधीश ने विधि मंत्रालय को भेजे अपने पत्र में कहा है कि राज्य सरकार की ओर से खंडपीठ के संबंध में कोई प्रस्ताव न मिलने के कारण इस संबंध में गठित कमेटी भंग की जा रही है। चूंकि राज्य सरकार ने कोई प्रस्ताव नहीं दिया है, इसलिए कोई राय दिया जाना संभव नहीं है। माना जा रहा है कि शुक्रवार को हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की बैठक में भी यह मुद्दा रखा जाएगा। इसके बाद हड़ताल समाप्त किए जाने पर भी विचार किया जा सकता है।

मेरठ का न्यायिक क्षेत्र मुरादाबाद स्थानांतरित

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ में लंबे समय से चल रही हड़ताल के मद्देनजर वहां का न्यायिक क्षेत्र मुरादाबाद स्थानांतरित कर दिया है। अब मेरठ क्षेत्र के मुकदमे मुरादाबाद में सुने जाएंगे।