कोर्ट के निर्देश पर यूजीसी ने नहीं किया पालन और बीएचयू में होने लगीं नियुक्तियां

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीएचयू में रोस्टर के बिना नियुक्तियों पर बनारस ¨हदू विश्वविद्यालय और यूजीसी से जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि जो भी चयन या नियुक्ति हो चुकी है वह याचिका के निर्णय पर निर्भर करेगी। यह आदेश जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस इरशाद अली की खंडपीठ ने डा। अंगद कुमार सिंह और दो अन्य की याचिकाओं पर दिया है।

कोर्ट ने निरस्त कर दिया था विज्ञापन

याचिका के अनुसार हाईकोर्ट ने सात अप्रैल 2017 को बीएचयू के विभिन्न विभागों में अध्यापकों की नियुक्ति का विज्ञापन निरस्त कर दिया था। विवेकानंद तिवारी की याचिका पर कोर्ट ने इसी के साथ विभागवार आरक्षण का रोस्टर बनाकर उसे लागू करने और यूजीसी को उसके लिए गाइड लाइन बनाने का निर्देश दिया था। सुनवाई के दौरान कहा गया कि आदेश के बाद से अब तक यूजीसी ने कोई गाइडलाइन नहीं बनाई है। जबकि बीएचयू ने अस्थाई तौर पर रोस्टर बनाकर विज्ञापन जारी कर दिया और उसके तहत नियुक्तियां भी शुरू कर दीं। याचिका में विज्ञापन और नियुक्तियों को चुनौती देते हुए उसे अवैध बताया गया है।