डॉ.डीसी श्रीवास्तव ने मानी गलती तो कोर्ट ने कहा, अवमानना याचिका कायम रखने को अब कुछ नहीं बचा

मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज इलाहाबाद के अस्थि रोग विभागाध्यक्ष डॉ। डीसी श्रीवास्तव के बिना शर्त माफी मांगने के बाद उनके खिलाफ चल रही अवमानना कार्यवाही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समाप्त कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि विपक्षी की ओर से किए गए पत्राचार और दाखिल हलफनामा वापस लेने के बाद अवमानना याचिका कायम रखने के लिए कुछ भी नहीं बचा है।

यह आदेश जस्टिस यशवंत वर्मा ने डा। अजय कुमार वर्मा की अवमानना याचिका पर दिया है। डा.डीसी श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट में अपनी गलती मानी और पूर्व में दाखिल हलफनामा व लिखे गए पत्रों को वापस लेने की अनुमति मांगी। इस पर कोर्ट ने अवमानना याचिका निस्तारित कर दी है। मालूम हो कि याची की योग्यता को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई। दोनों पक्षों के जवाबी हलफनामे के बाद याचिका खारिज हो गई। इस आदेश के खिलाफ एसएलपी भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी। इसके बाद विपक्षी डा.श्रीवास्तव ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति व परीक्षा नियंत्रक को पत्र लिखकर याची को परीक्षक न नियुक्त करने का अनुरोध किया। योग्यता पर उठाए गए सवालों को कोर्ट की ओर से अस्वीकार किए जाने के बावजूद याची की योग्यता को लेकर यह शिकायत की गई। विपक्षी ने मामला सर्वोच्च न्यायालय से तय होने के बावजूद यह कहा कि योग्यता का प्रकरण कोर्ट में विचाराधीन है। इन पत्रों को आधार मानकर यह अवमानना याचिका दाखिल की गई थी। कोर्ट ने विपक्षी की ओर से दिए गए स्पष्टीकरण को प्रथम दृष्टया अवमानना कारी माना था और नोटिस जारी कर विपक्षी को तलब किया था। स्पष्टीकरण भी मांगा था कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही की जाए?