समर्पण की अवधि बढ़ाने व सेम डेट पर जमानत अर्जी पर सुनवाई की मांग में पहुंची थीं हाई कोर्ट

लूटपाट, आगजनी का लगा था आरोप, झूंसी के दरोगा भी हैं लपेटे में

लोअर कोर्ट से जारी गैरजमानती वारंट पर चार सप्ताह में समर्पण कर देने का मौका पा लेने वाली सपा की पूर्व विधायक विजमा यादव को बुधवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली। वह कोर्ट में समर्पण करने की अवधि बढ़ाने तथा जमानत अर्जी उसी दिन निर्णीत करने की मांग को लेकर हाई कोर्ट पहुंची थीं। कोर्ट ने दोनों अर्जियों को खारिज कर दिया है। यह आदेश जस्टिस रमेश सिन्हा ने श्रीमती विजमा यादव की अर्जी पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता स्वामी अग्रवाल व शिकायतकर्ता के अधिवक्ता कुंजेश कुमार दूबे ने बहस की।

13 साल पुराना है मामला

झूंसी में मुनीम यादव की 2005 में हुई हत्या के आरोप में श्रीमती शशिदेवी के पति अशोक यादव व अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी

पति के जेल में जाने के बाद 29 जून 05 को विजमा यादव ने भीड़ के साथ शशिदेवी के छतनाग स्थिति मकान में लूटपाट कर आग लगा दी व राइफल समेत अन्य सामान उठा ले गये

30 जून 05 को दूसरे दिन दूसरे मकान पर भी हमला कर आगजनी की

घटनाक्रम के बाद शशिदेवी ने पूर्व विधायक विजमा यादव, दरोगा पदमाकर राय, मूलचन्द्र राजकुमार, अशोक निषाद, लोहा सिंह, अमर सिंह, ज्ञानचन्द्र, लालचन्द्र जबर सिंह व राजू 11 लोगों के खिलाफ थाने में अर्जी दी

सुनवाई न होने पर डकैती लूटपाट आगजनी, 140 बोरे अनाज जला देने तथा थाने में लाकर छह दिन तक बैठाये रखने का आरोप लगाते हुए मजिस्ट्रेट के समक्ष अर्जी दी

इसे इस्तगासे के तौर पर स्वीकार करते हुए कोर्ट ने सम्मन जारी किया

हाजिर न होने पर गैर जमानती वारण्ट जारी किया था

हाई कोर्ट ने 23 फरवरी 18 को विजमा यादव झूंसी के दरोगा पदमाकर राय सहित 11 आरोपियों को 4 हफ्ते में समर्पण करने का समय देते हुए गैर जमानत वारंट पर रोक लगा दी थी

इस आदेश का पालन न कर विजमा यादव ने समर्पण के लिए अतिरिक्त समय बढ़ाये जाने की मांग की थी