शहर में हो रही पेड़ों की कटाई पर हाई कोर्ट ने दिया आदेश

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पेड़ काटने में समय नहीं लगता लेकिन एक पेड़ को वृक्ष बनने में काफी समय लग जाता है। बेहतर होगा कि पेड़ों को काटने के स्थान पर उन्हें दूसरे स्थानों पर शिफ्ट करने पर काम किया जाय ताकि पर्यावरण भी संरक्षित रहे। यह टिप्पणी इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शहर में विकास के नाम पर हो रही पेड़ों की कटाई को संज्ञान लेते हुए सुनवाई के दौरान की।

कोर्ट ने स्वत: लिया संज्ञान

कोर्ट ने अंधाधुंध पेड़ो की कटाई की खबरों को स्वत: संज्ञान में लेते हुए केंद्र व राज्य सरकार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नगर निगम व एडीए से जबाब मांगा है और बिना जिलाधिकारी की अनुमति के पेड़ों के काटने पर रोक लगा दी है। शहर के सुंदरीकरण व सड़क चौड़ीकरण कार्य के चलते शहर से एक हजार से अधिक पेड़ो को काट डाला गया है। अखबारों में छपी खबरो पर कोर्ट ने संज्ञान लिया। याचिका की सुनवाई ख्फ् जुलाई को होगी। यह आदेश जस्टिस पीकेएस बघेल तथा राजीव जोशी की खंण्डपीठ ने दिया है। कोर्ट ने कहा है कि विदेशों में मशीनों से पेड़ो को जड़ से उखाड़ कर दूसरी जगह लगाने की तकनीक विकसित कर ली है। जिसके जरिये पेड़ो को काटने के बजाय दूसरे स्थान पर शिफ्ट किया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि पर्यावरण की स्वच्छता के लिए पेड़ो का होना जरूरी है। बहुत जरूरी होने पर ही पेड़ काटे जाने चाहिए। विकास के साथ साथ स्वस्थ पर्यावरण होना भी महत्वपूर्ण है।