राज्य सरकार व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मांगा जवाब

प्रदेश के बड़े शहरों व राजमार्गो पर इलेक्ट्रिक बसें चलाने की मांग में याचिका

2003 के तहत बनी फेम स्कीम लागू करने की दिशा में कितने कदम आगे बढ़े हैं। क्या योजना बनायी है। इसकी जानकारी इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर राज्य सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से तीन सप्ताह में मांगी है। बता दें कि नेशनल ऑटो फ्यूल पॉलिसी बने 15 साल बीत चुके हैं। इसके बाद प्रदेश में इलेक्ट्रिक ट्रांसपोर्ट बस चलाने की स्कीम लागू करने की दिशा में क्या प्रयास किये गये हैं, यह सवाल याचिका में उठाया गया है।

बंद हों डीजल-पेट्रोल वाहन

बता दें कि इस स्कीम के तहत बड़े शहरों व अंतरराष्ट्रीय मार्गो पर इलेक्ट्रिक बसें चलाने तथा 3 से 5 साल में पेट्रोल व डीजल के वाहनों को खत्म कर इलेक्ट्रिक या वैकल्पिक ईधन के वाहनों को ही अनुमति देने की व्यवस्था दी गयी है। जौनपुर के डॉ केके मिश्र की याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस डीबी भोंसले तथा जस्टिस यशवन्त वर्मा की खण्डपीठ ने की। कोर्ट ने राज्य सरकार के अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता सुधांशु श्रीवास्तव व केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिवक्ता शंभू चोपड़ा से इस सम्बन्ध में उठाये गये कदमों की जानकारी मांगी है। याची के अधिवक्ता राहुल अग्रवाल का कहना है कि प्रदेश के बड़े शहरों व स्मार्ट सिटी में इलेक्ट्रिक बसें चलायी जाय। धीरे-धीरे पेट्रोल, डीजल वाहनों को बंद कर दिया जाय। नगर निगम एरिया में इलेक्ट्रिक चार्जिग स्टेशन स्थापित किया जाय। याची का कहना है कि एनसीआर में बने ग्रेडेड ऐक्शन प्लान की तर्ज पर प्रदेश के शहरों में योजना लागू की जाय। याचिका की सुनवाई 3 हफ्ते बाद होगी।