एयू के पूर्व कुल सचिव कर्नल हितेश लव प्रकरण पर हाई कोर्ट ने कहा अधिकरण में दें चुनौती

हाईकोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव कर्नल हितेश लव को पद से हटाये जाने के मामले में हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि याची अपना केस अधिकरण के समक्ष उठा सकता है। 20 जून 2018 को कार्यकारिणी के प्रस्ताव के तहत कुलपति ने याची को बर्खास्त कर दिया था। जिसे चुनौती दी गयी थी। यह आदेश जस्टिस बी। अमित स्थालेकर तथा जयन्त बनर्जी की खण्डपीठ ने दिया है।

विश्वविद्यालय के अधिवक्ता का तर्क

याची की नियुक्ति करार के तहत संविदा पर की गयी थी

इसलिए उसे हटाने के लिए किसी जांच की जरूरत नहीं है

विवाद की स्थिति में याची अधिकरण या आर्बीट्रेशन (पंचाट) में जा सकता है।

याची अधिवक्ता का तर्क

याची कर्मचारी नहीं है जिसे संविदा के अन्तर्गत माना जाय

उसकी नियुक्ति विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत की गयी है

बिना जांच के उसे नहीं हटाया जा सकता

बर्खास्तगी नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है

याची को 5 साल के लिए चयन समिति की संस्तुति पर कार्यकारिणी परिषद द्वारा नियुक्त किया गया था

कोर्ट ने कहा

कुलसचिव भी विश्वविद्यालय के कर्मचारी है। इसलिए सेवा से हटाने के आदेश को अधिकरण में चुनौती दी जा सकती है।