छह महीने बाद भी नहीं मिल पा रही नकल

हाई कोर्ट में 37 लाख फाइलें हो चुकीं स्कैन

स्कैन हो चुकी फाइलों को आनलाइन करने की परमिशन न मिलने से आज भी वकीलों के लिए आदेश की नकल पाना चुनौती बना हुआ है। आलम यह है कि छह महीने तक लग जा रहे हैं आदेश की नकल प्राप्त करने में। बता दें कि मुंबई की स्टॉक होल्डिंग कम्पनी 37 लाख कोर्ट फाइलों की स्कैनिंग कर डिजिटाइज्ड कर चुकी है। प्रतिदिन डिजिटाइजेशन का काम तेजी से जारी है। कंपनी को फाइलों को ऑनलाइन करने की परमिशन अब तक नहीं मिली है।

हाई कोर्ट रूल्स नहीं हो रहा फॉलो

हाईकोर्ट रूल्स के तहत नकल जारी करने की अधिकतम अवधि तय है किंतु व्यावहारिक कठिनाइयों के चलते लोगों की आदेशों की उन फाइलों में नकल नहीं मिल पा रही है जो फाइलें स्कैन होकर सेंटर में डम्प है। स्टॉक होल्डिंग कम्पनी करोड़ों खर्च लेकर हाईकोर्ट की पुरानी फाइलों को स्कैन कर डिजिटाइज्ड कार्य कर रही है। 400 से अधिक कर्मचारी इस कार्य में जुटे हैं। यह प्रक्रिया तीन साल से चल रही है। यह कार्य हाईकोर्ट की एक पांच सदस्यीय कमेटी की निगरानी में किया जा रहा है। सीनियर जस्टिस पंकज मित्तल कमेटी के चेयरमैन हैं और जस्टिस एसपी केसरवानी, जस्टिस विपिन सिन्हा, जस्टिस अंजनी कुमार मिश्र व जस्टिस एसडी सिंह कमेटी के सदस्य हैं। पिछले तीन सालों से कम्पनी कोर्ट फाइलों को डिजिटाइज्ड कर रही है। डिजिटाइज्ड हो चुकी फाइलों की बेबसाइट पर लोड किये जाने के बाद किसी को भी घर बैठे रिकार्ड देखने की छूट मिल जायेगी। इन फाइलों में पारित आदेश या केसो की नकल भी हाईकोर्ट से आसानी से प्राप्त की जा सकेगी।