पहले 10 दिन की नोटिस की व्यवस्था हुई समाप्त

हाईकोर्ट रूल्स में किया गया संशोधन, 29 से लागू हो जाएगी व्यवस्था

हाई कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल करने के लिए अब दस दिन की नोटिस की बाध्यता नहीं रहेगी। नोटिस होने के दो दिन बाद ही जमानत के लिए अर्जी दाखिल की जा सकेगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शनिवार को यह महत्वपूर्ण फैसला दिया है और इसके लिए हाई कोर्ट रूल्स में चेंज का आदेश भी जारी कर दिया गया है। यह व्यवस्था इसी महीने की 29 तारीख को नोटीफिकेशन जारी होने के साथ लागू हो जाएगी। संचार के माध्यमों का प्रयोग बढ़ने को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। नोटिस को अब इलेक्ट्रानिक माध्यमों से सर्व करके संबंधित को सूचना दी जाएगी।

अब तक लागू थी व्यवस्था

मालूम हो कि हाईकोर्ट रूल्स के नियम 18 (3) में संशोधन किया है।

29 सितम्बर 18 को किया गया संशोधन सरकारी गजट में प्रकाशित होने की तिथि से प्रभावी होगा।

जमानत अर्जी की सुनवाई में तकनीकी देरी के कारण आरोपी को जेल में रहना पड़ता था।

10 दिन की नोटिस का उद्देश्य अर्जीदाता के बारे में सरकार को सुनवाई के समय तक जानकारी एकत्र करना था।

अब सूचना तकनीकी के प्रसार के चलते हाईकोर्ट पुरानी नियमावली को संशोधित कर दिया है।

अब दो दिन की नोटिस के बाद ही जमानत अर्जी दाखिल हो सकेगी और कैदी की अनावश्यक अधिक दिनों तक जेल में कैद रहने से निजात मिलेगी।

बंदी-कैदियों को मिलेगा फायदा

डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से खारिज होने के बाद जमानत के मामले हाई कोर्ट आते हैं

आवेदन फाइल करने पर दस दिन का नोटिस पीरियड होता था

इसके बाद मुकदमा सुनवाई के लिए कोर्ट में पेश होता था

इसके चलते इलाहाबाद हाई कोर्ट में अर्जी पर सुनवाई में कम से कम 15 दिन लग जाया करते थे

जमानत मंजूर हो जाने के बाद भी जब तक आदेश की कापी वेबसाइट पर अपलोड नहीं हो जाती उसकी सर्टिफाइड कॉपी नहीं मिलती थी

सर्टिफाइड कापी मिलने के बाद इसे संबंधित जिले की लोअर कोर्ट में दाखिल किया जाता है

वहां मुचलका भरे जाने के बाद रिहाई का आदेश जारी होता है

यह प्रक्रिया पूरी होने में 20 से 25 दिन तक का समय लग जाता था

नई व्यवस्था लागू होने से एक सप्ताह के भीतर ही प्रक्रिया पूर्ण की जा सकेगी