चयन समिति ने योग्य के अंक कम कर दूसरे को दी प्रोन्नति, पुनर्विचार का निर्देश

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर पद पर योग्य होने के बावजूद याची की प्रोन्नति न करने के आदेश को रद कर दिया है और यूजीसी रेग्यूलेशन 2010 के तहत विश्वविद्यालय को पुनर्विचार कर आदेश पारित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने विश्वविद्यालय को दो माह में निर्णय ले लेने का समय दिया है। यह प्रोन्नति कैरियर एडवांस स्कीम के तहत की जानी है।

न्यूनतम अर्हता से एक अंक कम

यह आदेश जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र ने डॉ। रचना कौशल की याचिका की स्वीकार करते हुए दिया है। याची अधिवक्ता शैलेन्द्र का कहना था कि याची सहित अन्य चयन प्रक्रिया में शामिल हुए। याची को पहले 65 अंक दिया गया बाद में कटिंग कर 49 अंक न्यूनतम अर्हता अंक से एक अंक कम कर दिया गया और विपक्षी डॉ। फरहाना कौसर का चयन कर लिया गया। इसका कुलपति ने अनुमोदन भी कर दिया। याची ने विजिटर के समक्ष आपत्ति की। सुनवाई न होने पर यह याचिका दाखिल की गयी थी।

जान-बूझकर असफल घोषित किया

याची का कहना था कि उससे कम अंक पाने वाले का चयन कर लिया गया। उसे जानबूझकर असफल घोषित किया गया। विश्वविद्यालय के अधिवक्ता का कहना था कि चयन में अंक की कटिंग चयन कमेटी के सामूहिक निर्णय से लिया गया है जिसे याचिका में नहीं देखा जा सकता। कोर्ट ने चयन समिति के निर्णय को मनमानापूर्ण माना और कहा कि चयन प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए। याची ने विपक्षी के चयन को चुनौती नहीं दी थी। इसलिए कोर्ट ने याची का चयन न करने के आदेश को मनमाना करार देते हुए रद कर पुनर्विचार का निर्देश दिया है।