प्रदेश सरकार के नाम बदलने के फैसले को दी गयी थी कोर्ट में चुनौती

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ दाखिल की गयी याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा है सरकार के फैसले से किसी कानूनी या संवैधानिक उपबन्ध का उल्लंघन नही हुआ है। यह सरकार का प्रशासनिक व नीतिगत निर्णय है। इसमें हस्तक्षेप का कोई आधार मौजूद नही है। कोर्ट ने गंगा यमुना संगम व प्रयाग की पौराणिक संस्कृति के हवाला भी दिया।

हेरीटेज सोसाइटी की याचिका

यह आदेश चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर तथा जस्टिस वाईके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने इलाहाबाद हेरिटेज सोसायटी व अन्य की जनहित याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि राज्य सरकार ने जनता की आपत्ति पर विचार के बाद नाम बदलने के कानून का पालन नही किया है। जिससे यह अधिसूचना विधि विरुद्ध होने के कारण अवैध है। सरकार की तरफ से कहा गया कि सरकार ने कानून की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए पौराणिक नाम बहाल करने का फैसला लिया है।

दिसंबर में सुरक्षित कर लिया था फैसला

कोर्ट ने दिसम्बर 18 में फैसला सुरक्षित कर लिया था। कोर्ट ने कहा कि याचिका में कोई कानूनी बल नही है। याची यह नही बता सका कि किस विधिक अधिकार का हनन हुआ है। सांस्कृतिक व् ऐतिहासिक धरोहर को संजोये रखने के लिए सरकार ने नाम बदलने का निर्णय लिया है। जिससे किसी कानून का उल्लंघन नही होता।

आपत्ति का कारण

सरकार ने नाम बदलने से पहले पब्लिक से आपत्ति नहीं मांगी

नियमानुसार आपत्ति मांगकर उस पर विचार करना चाहिये था

नियमों का पालन न होने से नाम बदलने की अधिसूचना विधि विरुद्ध है