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हाईकोर्ट ने मैनपुरी पॉश इलाके में आवास विकास परिषद द्वारा अधिग्रहीत भूमि का बढ़ी दर से मुआवजा देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने विशेष भूमि आध्याप्ति अधिकारी मैनपुरी द्वारा तय मुआवजे की दर को अपर्याप्त माना तथा रेफरेंस कोर्ट के फैसले को अनुबंधित करार दिया है. मैनपुरी के विमल कुमार मिश्र सहित दर्जनों भूस्वामियों की प्रथम अपील स्वीकर करते हुए यह आदेश जस्टिस एसपी केसरवानी ने दिया.

39.41 एकड़ भूमि अधिग्रहीत

मैनपुरी के अकुरिया देहात में मार्च 1980 में 39.41 एकड़ भूमि अधिग्रहीत की गयी. विशेष भूमि आध्याप्ति अधिकारी ने 1984 में इसका अवार्ड घोषित करते हुए 18.10 रुपये प्रति स्क्वायर यार्ड मुआवजा तय किया. इसमें बड़ा प्लाट होने के कारण 25 प्रतिशत कटौती भी की गई. जबकि अधिग्रहीत भूमि में से 12.83 एकड़ का मुआवजा निचला क्षेत्र होने के आधार पर 25 प्रतिशत की और कटौती के साथ 10.19 रुपये प्रति स्क्वायर यार्ड तय किया गया. इसे रेफरेंस कोर्ट में चुनौती दी गई मगर कोर्ट ने मुआवजा की राशि को सही करार दिया. इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की गई. कहा गया कि अधिग्रहीत भूमि मैनपुरी के प्रमुख स्थान पर स्थित है.

जमीन का बाजार मूल्य है अधिक

यहां से रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन, अस्पताल और कचहरी के लिए रास्ते निकलते हैं. इस स्थान पर जमीन का बाजार मूल्य अधिक है. इसके पास की जमीन की रजिस्ट्री जिस मूल्य पर हुई है उसे उदाहरण के तौर पर न लेकर अपेक्षाकृत कम मूल्य के बैनामे वाली भूमि का उदाहरण लिया गया है. कोर्ट ने याचीगण की दलील में बल पाते हुए मुआवजे की राशि 39 रुपये प्रति स्क्वायर यार्ड और निचली भूमि के लिए 33 रुपये प्रति स्क्वायर यार्ड तय करते हुए याचिका निस्तारित कर दी है.