इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सत्र न्यायालय के बरी करने के आदेश को सही माना

आरोपितों को बरी करने के खिलाफ राज्य सरकार की अपील खारिज

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संत ज्ञानेश्वर स्वामी सदानंद परमहंस सहित आठ लोगों की हत्या के आरोपितों को सत्र न्यायाधीश प्रयागराज की ओर से बरी करने के आदेश को सही माना है. हाईकोर्ट ने बरी करने के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी है. सत्र न्यायाधीश ने आरोपित अखिलेश सिंह, चन्द्रभद्र सिंह 'सोनू', यशभद्र सिंह 'मोनू' और विजय यादव को साक्ष्य के आभाव में दोषमुक्त करार दिया था.

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यह आदेश जस्टिस राम सूरत राम मौर्या और अनिल कुमार नवम की खंडपीठ ने इंद्रदेव तिवारी और सरकार की अपील पर दिया है. आरोपितों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता जीएस चतुर्वेदी व अजातशत्रु पांडेय ने बहस की. इन अधिवक्ताओं का कहना था कि सत्र न्यायालय का आदेश सही है. इंद्रदेव तिवारी ने 10 फरवरी 2006 को हंडिया थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी. जिसमें माघ मेला प्रयाग से वाराणसी जाते समय जीटी रोड पर संत ज्ञानेश्वर के काफिले पर फायरिंग पर हत्या का आरोप लगाया गया. इस घटना में संत ज्ञानेश्वर सहित आठ लोगों की मौत हुई थी. पांच घायल हुए थे. अन्य घायलों के साथ दिव्या त्रिपाठी को स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया था. तीन साल बाद उनकी मौत हो गई. सत्र न्यायाधीश ने मृत्युकालिक बयान को पर्याप्त साक्ष्य नहीं माना. अन्य ठोस साक्ष्य के अभाव में आरोपितों को बरी कर दिया. आरोपितों का कहना था कि संत ज्ञानेश्वर माफिया थे. कई लोगों से उनकी रंजिश थी लेकिन, हत्या की घटना में उन्हें (आरोपितों) को फंसाया गया जबकि वे निर्दोष हैं.