70 फीसदी पौध सूख जाने पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से तीन सप्ताह में मांगा जवाब

हाईकोर्ट ने मनु खरे को न्यायमित्र नियुक्त किया

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कुंभ के दौरान आने वाली पब्लिक को बेहतर सुविधाएं देने के लिए सड़कों को चौड़ी कर दिया। पैदल पाथवे बनवा दिये। तमाम अन्य काम करवाये गये। इस चक्कर में हजारों पेड़ काट दिये गये। बदले में पौधे लगवा कर कोरम पूरा कर लिया। देखरेख के अभाव में 70 फीसदी पौधे सूख गये। इससे पर्यावरणीय संतुलन डिस्बैलेंस हो गया। इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? इसकी निगरानी का जिम्मा किसे सौंपा गया था? लॉ छात्रा की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह सवाल हाई कोर्ट में शुक्रवार को खड़ा हुआ। कोर्ट ने इसे सीरियसली लेते हुए केन्द्र सरकार से जवाब मांगा है। राज्य सरकार से पूछा है कि लगाये गये पौधों की रखवाली के लिए क्या उपाय किये गये हैं, इसका डिटेल दें। सुनवाई दो अगस्त को होगी। यह आदेश जस्टिस पीकेएस बघेल तथा आरआर अग्रवाल की खंडपीठ ने छात्रा ज्योति वर्मा की जनहित याचिका पर दिया है।

अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया

वर्ष 2019-20 में नगर निगम का दो लाख तथा पीडीए को 35 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य है।

शहर में 3500 पेड़ काटे गए हैं। साथ ही काफी संख्या में पौधरोपण हुआ है।

कोर्ट ने कहा

निगरानी कमेटी बनाकर लगे पौधों की सुरक्षा निगरानी की जाए।

केंद्र सरकार के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी से कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पौधे लगाने व उनकी सुरक्षा करने का फंड बनाने का आदेश दिया है। इस पर क्या किया, इसकी जानकारी दें

पेपर रिपोर्ट में एक लाख पेड़ काटे जाने का जिक्र है।

जो पौधे लगाए गए हैं उनमें से 70 प्रतिशत सुरक्षा व देखभाल न होने के कारण सूख गए हैं।

ऐसा निगरानी तंत्र बनाया जाए जिससे लगे पौधों की सुरक्षा हो सके।

कोर्ट ने अधिवक्ता मनु खरे को न्यायमित्र नियुक्त किया है और कहा है कि वह शहर में लगे पेड़ों व पौधों का निरीक्षण कर सुरक्षा उपायों के साथ अपनी रिपोर्ट पेश करें