हाई कोर्ट ने बिना अनुमति के लम्बित आपराधिक केस को किया रद्द

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्णय दिया है कि फारेस्ट रेंज अधिकारी के खिलाफ केस चलाने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत शासन की अनुमति जरूरी है। बिना शासन की अनुमति बगैर अधिकारी के खिलाफ मजिस्ट्रेट आपराधिक केस नहीं चला सकता। कोर्ट ने इसी के साथ सपा के तत्कालीन विधायक अरविन्द गिरी के इशारे पर एसीजेएम खीरी के समक्ष लम्बित आपराधिक केस को शासन की अनुमति न होने के आधार पर रद्द कर दिया।

अफसर ने खुद दाखिल की थी याचिका

यह आदेश जस्टिस केजे ठाकर ने फारेस्ट रेंज अधिकारी दिग्विजय सिंह की धारा 482 दं.प्र.सं। के अन्तर्गत दायर अर्जी का स्वीकार करते हुए दिया है। याची के वकील अमरेंद्र कुमार बाजपेई ने मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि सपा विधायक याची से नाराज रहता था। इस कारण उन्हीं के इशारे पर फर्जी केस दर्ज कर याची खिलाफ कार्रवाई की गयी है। जबकि फारेस्ट रेंज अधिकारी के खिलाफ आपराधिक केस चलाने से पहले शासन की अनुमति नहीं ली गयी थी। अदालत ने आम आधार पर एसीजेएम के समक्ष विचाराधीन मुकदमें को रद्द कर दिया है।