प्रशासन की तरफ से तीन मौके दिए जाने के बाद भी कोई जवाब दाखिल न किए जाने और इंतजार के बाद भी डीएम के पेश न होने से खफा इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हुक्का बार संचालक को बड़ी राहत दे दी है। कोर्ट ने इलाहाबाद जिला प्रशासन व पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे बिना किसी बाधा के सिविल लाइंस में हुक्का बार चलने दें। कोर्ट ने डीएम को नोटिस जारी कर पूछा है कि आदेश की अवहेलना पर क्यों न हर्जाना लगाया जाए। याचिका की सुनवाई 25 अक्टूबर को होगी।

बिना लिखित आदेश के लगा दी थी रोक

यह आदेश जस्टिस तरुण अग्रवाल और जस्टिस अजय भनोट की खंडपीठ ने वसीम अहमद की याचिका पर दिया है। याची का कहना है वह हुक्का पार्लर चलाता है। बिना किसी लिखित आदेश के जिला प्रशासन ने हुक्का लौंगे चलाने पर रोक लगा दी है। बार को बिना कारण बताए बंद करने को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।

 

कैसे हाथ से निकली बात

कोर्ट ने चार सितंबर 2017 को जिला मजिस्ट्रेट से जवाब मांगा।

जवाब नहीं आने पर 21 सितंबर और तीन अक्टूबर को भी जवाब दाखिल करने का समय दिया।

इसके बाद कोर्ट ने जिलाधिकारी को न्यायालय में पेश होने का आदेश दिया।

इस पर भी कोई जवाब दाखिल नहीं होने पर कोर्ट ने साढ़े बारह बजे तक पेश होने का आदेश दिया

सुनवाई के समय जब पुकार हुई तो सरकार की तरफ से और समय मांगा गया,

इसे कोर्ट ने नहीं माना और जवाब दाखिल न होने पर कड़ा रुख अख्तियार किया

अपने आदेश में कोर्ट ने हुक्का बार चलाने में किसी प्रकार का अवरोध उत्पन्न करने पर रोक लगा दी है


प्रशासन ने की थी बड़ी कार्रवाई

सितंबर महीने में प्रशासन और पुलिस टीम ने शुरू की थी छापेमारी

शहर से लेकर नैनी एरिया तक में हुक्का बारों पर हुई थी कार्रवाई

पुलिस ने दर्ज कर लिया था सामान, थाने बुलाए गए थे बार संचालक

एक दर्जन हुक्का बार को बंद करा दिया गया था इस दौरान