प्रिमाइस में बनी मस्जिद को अतिक्रमण बताते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसे अवैध करार दिया है। कोर्ट ने मस्जिद वक्फ को तीन माह का मौका दिया है कि वह खुद इसे शिफ्ट कराकर कब्जा खाली कर दे। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि मस्जिद की प्रबन्ध समिति निर्माण हटा कर कब्जा नियत समय में वापस नहीं करती तो महानिबन्धक पुलिस बल की सहायता से उसके एक माह के भीतर जमीन खाली करा लें। यह आदेश चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस एमके गुप्ता की खण्डपीठ ने अधिवक्ता अभिषेक शुक्ल की जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

 

याचिका

इसे अधिवक्ता अभिषेक शुक्ला ने दाखिल किया था

याची का कहना था कि मस्जिद का निर्माण हाईकोर्ट की जमीन पर किया गया है

यह अतिक्रमण है मस्जिद अवैध, इसे तत्काल हटाने का आदेश दिया जाना चाहिए

 

वक्फ का दावा

मस्जिद वर्षो पुरानी है और यहां नमाज अता की जाती है

इसकी जमीन वक्फ सम्पत्ति है। इसे हटाया नहीं जा सकता

 

कोर्ट का आदेश

वक्फ चार हफ्ते में जिला प्रशासन से मस्जिद के लिए दूसरी जगह जमीन की मांग की अर्जी दे

जिलाधिकारी नियमानुसार 8 हफ्ते में इस पर निर्णय लें

मस्जिद के साथ हाईकोर्ट लिखना तत्काल बन्द करें

महानिबन्धक इलाहाबाद व लखनऊ में कोर्ट की जमीन पर पूजा या नमाज पढ़ने की अनुमति न दें

मस्जिद प्रबन्धक समिति हाईकोर्ट की बिल्डिंग से तत्काल छह मीटर तक जमीन खाली करे

 

प्रशासन का जवाब

हाईकोर्ट को कार्यालय भवन के लिए जमीन देने से पहले जमीन पर कोई मस्जिद नहीं थी

जमीन पर अतिक्रमण करके मस्जिद का निर्माण करा लिया गया है

हाईकोर्ट की सुरक्षा कमेटी ने भी अवैध मस्जिद हटाने की संस्तुति की

 

एक्सपर्ट कमेटी का सुझाव

कार्यालय भवन के चारों ओर 11 मीटर तक एरिया अग्निशमन वाहन परिचालन के लिए खाली रखा जाय

 

हाई कोर्ट की चिंता

हाल ही में 19 जजों की नियुक्ति हुई है

कोर्ट में जगह की भारी कमी है

अतिक्रमण हटाये बगैर अग्निशमन विभाग अनापत्ति नहीं देगा और बिना अनापत्ति के नौ मंजिला भवन का निर्माण पूरा नहीं हो सकता

वैसे भी भवन निर्माण में 6 से 8 माह का समय लगेगा

जजों के बैठने के लिए चेम्बर नहीं है। 30 कोर्ट बन रही है।

अभी स्थिति यह है कि खण्डपीठ के एक जज के एकल बैठने पर दूसरे जज को चेम्बर में बैठकर काम करना पड़ रहा है।

कार्यालय से फाइलें नये भवन में शिफ्ट कर चेम्बर निर्माण हो सकता है। जगह की कमी बाधक बन रही है।

कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों की निष्कर्ष तक पहुंचने में सहयोग की सराहना की।

 

पंथनिर्पेक्ष देश में सभी को न्याय देने की जिम्मेदारी कोर्ट की है। हाईकोर्ट में जगह की कमी के चलते अवैध अतिक्रमण से परेशानी हो रही है। जिसे हटाया जाना चाहिए।

-इलाहाबाद हाई कोर्ट

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