एनसीटीई से मान्यता है तो किसी भी कोर्स व डिग्री को इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता कि वह अदर स्टेट की है। इस टिप्पणी के साथ इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बीएड के समकक्ष मान्य राजस्थान की शिक्षा शास्त्री डिग्री को यह कहते हुए अमान्य करने से इंकार करने क आदेश को रद कर दिया है कि डिग्री दूसरे राज्य की है और 2004 विशिष्ट बीटीसी कोर्स प्रवेश विज्ञापन में मान्य डिग्री के रूप में शामिल नही की गयी है। कोर्ट ने कहा है कि विज्ञापन में प्रदेश की डिग्री के लिए कोई आरक्षण नहीं दिया है। तो प्रदेश या प्रदेश के बाहर की डिग्री के नाम पर भेदभाव नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने राज्य सरकार को 6 हप्ते के भीतर याची की विशिष्ट बीटीसी कोर्स 2004 के प्रवेश पर विचार कर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। यह आदेश जस्टिस एसपी केशरवानी ने नम्रता रावत की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।

 

याचिका के तथ्य

याची ने महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर राजस्थान से मान्यता प्राप्त श्री दिगम्बर जैन आदर्श महिला महाविद्यालय श्री महावीर जी से शिक्षा शास्त्री कोर्स किया

इसे एनसीटीई ने बीएड के समकक्ष मान्यता दी है

याची ने विशिष्ट बीटीसी कोर्स 2004 में आवेदन दिया जिसे मान्य डिग्री न मानते हुए अस्वीकार कर दिया गया

कोर्ट के निर्णय लेने के आदेश के बावजूद प्रत्यावेदन निरस्त करने पर दुबारा याचिका दायर की गयी

 

कोर्ट ने कहा

हाईकोर्ट के रमेश तिवारी केस व जितेन्द्र तिवारी सोनी केस का फैसला बना निर्णय का आधार

राज्य सरकार का आदेश मनमानापूर्ण है, इस आधार पर इसे अवैध करार देते हुए रद किया जाता है

एनसीटीई से मान्य डिग्री को दूसरे प्रदेश की होने के आधार पर मानने से इंकार नहीं किया जा सकता