चीफ सेक्रेटी की कार्यवाही से कोर्ट असंतुष्ट मथुरा में यमुना प्रदूषण के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्ती के निर्देश allahabad@inext.co.in इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा वृन्दावन में यमुना नदी में प्रदूषण को लेकर मुख्य सचिव के हलफनामे को संतोषजनक नहीं माना और कहा है कि प्रदूषण पर गलत हलफनामा दाखिल करने वाले तथा प्रदूषण बढ़ने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी जाय। कोर्ट ने अधिकारियों से पूछा है कि उन्हें दी गयी चेतावनी क्यों न उनकी सेवा पुस्तिका में दर्ज की जाय। कोर्ट ने प्रदूषण बोर्ड को दोषी अधिकारियों पर कानूनी कार्यवाही करने का निर्देश दिया है और मुख्य सचिव से 14 दिसम्बर को कार्यवाही रिपोर्ट मांगी है। हरियाणा से आ रहा गंदा पानी यह आदेश जस्टिस अरुण टंडन तथा राजीव जोशी की खंडपीठ ने मधु मंगल शुक्ल की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता ए चतुर्वेदी, नगर निगम के अधिवक्ता डीएस चौहान व राज्य सरकार की तरफ से वाईके श्रीवास्तव ने बहस की। मुख्य सचिव ने कोर्ट को बताया कि हरियाणा से गंदा पानी आ रहा है। इसपर कोर्ट ने मथुरा जिले में यमुना के प्रवेश स्थल के पानी की जांच रिपोर्ट मांगी है और पूछा है कि शहर में प्रदूषण बढ़ा है या नहीं। राज्य सरकार की तरफ से बताया गया कि तीन अधिकारियों को निलम्बित कर जांच बैठायी गयी है। नगर आयुक्त, सहायक नगर आयुक्त व जल निगम के अधिशाषी अभियन्ता को चेतावनी दी गयी है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिवक्ता डा। एचएन त्रिपाठी ने बताया कि बोर्ड अपना कर्तव्य कर रहा है। अधिकारियों व उद्योगों को नोटिस दी गयी है। रिपोर्ट पर कार्यवाही सरकार करेगी। इस पर कोर्ट ने पूछा कि बोर्ड निगम अधिकारियों के खिलाफ प्रदूषण रोकने में नाकाम रहने की आपराधिक प्राथमिकी दर्ज कराये। नोटिस भेजने के बजाय कार्यवाही की जाय। कोर्ट ने मुख्य सचिव से कहा कि यमुना प्रदूषण पर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही करे। कोर्ट ने समयबद्ध कार्ययोजना मांगी थी। इसका पालन करने का भी आदेश दिया है। कोर्ट ने सभी विपक्षियों से कार्यवाही रिपोर्ट के साथ हलफनामा मांगा है।