लोअर कोर्ट से जारी तलाक की डिग्री को हाई कोर्ट ने अवैध घोषित किया

तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैध करार देने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रिपल तलाक (तलाक-ए-विद्दत) की डिग्री को अवैध करार देते हुए अधीनस्थ न्यायालय की तलाक की डिग्री को रद कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने शायरा बानो केस में तीन तलाक को अवैध घोषित किया है। ऐसे में तलाक की डिग्री विधि सम्मत नहीं मानी जा सकती।

परिवार न्यायालय का था फैसला

यह फैसला जस्टिस अरुण टण्डन तथा जस्टिस राजीव जोशी की खण्डपीठ ने बरेली की श्रीमती अर्से जहां की प्रथम अपील को मंजूर करते हुए दिया है। मालूम हो कि परिवार न्यायालय बरेली के प्रमुख न्यायाधीश ने अपीलार्थी अर्से जहां व उसके पति मोहम्मद फारुर उर्फ फारूक खान के बीच तलाक मंजूर कर लिया था जिसे अपील में चुनौती दी गयी थी। कोर्ट ने कहा कि आमतौर पर अपील पर मूल दस्तावेज तलब कर ली जाती है। इसके बाद गुणदोष पर अपील निर्णीत कर ली जाती है किन्तु प्रश्नगत मामले में यह अर्थहीन प्रक्रिया होगी। क्योंकि, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दे दिया है जो अपीलार्थी के पक्ष में है।

2009 में हुआ था निकाह

मोहम्मद फारुर उर्फ फारुख व अर्सेजहां के बीच 24 अक्टूबर 2009 को निकाह हुआ

दो लाख मेहर तय हुई किन्तु शादी की पहली रात को ही अपीलार्थी ने मेहर की रकम माफ कर दिया

पति भारतीय सेना में है। जब वह ड्यूटी पर था तो पत्‍‌नी ने दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए उसके व परिवार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी

पति ने विवाह प्रतिस्थापन वाद दायर किया। पत्‍‌नी के साथ रहने से इनकार के कारण वाद खारिज हो गया

पति ने 17 अगस्त 2011 को दो गवाहो की मौजूदगी में ट्रिपल तलाक दे दिया

19 अगस्त 2011 को दैनिक जागरण में छपवाते हुए पंजीकृत डाक से पत्‍‌नी को भेजा और फतवा जारी करा लिया

पत्‍‌नी का कहना था कि मेहर माफ करने का नियम नहीं है पति उसके साथ मारपीट करता है जिस पर केस दर्ज हुआ। परिवार न्यायालय ने तलाक की डिग्री दे दी

इसे हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल तलाक को अवैध घोषित करने के फैसले के आधार पर रद कर दिया है