26 साल बाद मिला न्याय, 7 फीसदी ब्याज सहित परिलाभों के भुगतान का निर्देश allahabad@inext.co.in इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपिका (उप्र औद्योगिक सहकारी संघ) के बर्खास्त कर्मचारी को 26 साल की लम्बी लड़ाई के बाद बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने यूपिका को निर्देश दिया है कि वह 7 फीसदी ब्याज सहित कर्मचारी को 1991 में बर्खास्तगी वर्ष से सेवानियुक्ति परिलाभों का भुगतान करें। कोर्ट ने याचिका 50 हजार रुपये हर्जाने के साथ स्वीकार कर ली है। यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ ने कानपुर नगर के एसके सिंह की यचिका पर दिया है। कोर्ट ने याची की बर्खास्तगी आदेश रद कर दिया है और कहा है कि याची सेवानिवृत्ति आयु पूरी कर चुका है, इसलिए उसे सेवानिवृत्त मानकर परिलाभों का भुगतान किया जाय। याची को 6 दिसम्बर 1991 को बर्खास्त कर दिया गया था। याची यूपिका में मैनेजर पर पद तैनात था। बिना सुनवाई कर मौका दिये तथा बिना कारण बताये उसे बर्खास्त कर दिया गया। याची का कहना था कि इसी आरोप में उसे प्रतिकूल प्रविष्टि दी गयी थी। उन्हंी आरोपों पर याची को बर्खास्त कर दिया गया। एक आरोप में दोहरा दंड नहीं दिया जा सकता। कोर्टने कहा कि बर्खास्तगी आदेश रद होने पर विभाग को जांच कर कार्यवाही का मौका दिया जाना चाहिए किन्तु याची बहुत पहले सेवानिवृत्ति आयु पूरी कर चुका है। इसलिए ऐसा आदेश देना उचित नहीं है। कोर्ट ने यूपिका को हर्जाना राशि दोषी अधिकारियों से वसूलने की छूट दी है।