इलाहाबाद हाईकोर्ट से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने योगी व अन्य बीजेपी नेताओं पर 2007 में गोरखपुर में दंगा भड़काने के आरोप में मुकदमा चलाने से इनकार करने के सरकारी आदेश के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है। याचिकाएं दंगे की सीबीआई से जांच कराने की भी मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि सरकार द्वारा योगी व अन्य के खिलाफ अभियोग चलाने की अनुमति न देने के आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं है। अनुच्छेद 226 के अन्तर्गत उपलब्ध तथ्यों व विधि प्रश्नों के तहत हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है।

18 दिसंबर को सुरक्षित हुआ था फैसला

यह आदेश जस्टिय कृष्ण मुरारी तथा एसी शर्मा की खण्डपीठ ने परवाज परवेज की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने दोनो पक्षो को सुनकर 18 दिसम्बर 17 को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने याचिका पर हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता एस एफए नकवी व प्रदेश के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल व अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम एके सण्ड ने बहस की थी। याची का कहना था कि योगी आदित्यनाथ सांसद, अंजू चौधरी मेयर गोरखपुर राधामोहन अग्रवाल विधायक व अन्य लोगो ने 2007 गोरखपुर दंगे को भड़काया जिससे लोग हिंसक हो उठ। याची का कहना था कि उसके पास नेताओं के भाषण की सीडी है। इसलिए निष्पक्ष एजेंसी सीबीआई जांच करायी जाय तथा राज्य सरकार को योगी सहित नेताओं पर अभियोग चलाने की अर्जी निर्गित करने का आदेश दिया जाय। याचिका की सुनवाई के दौरान ही कानूनी सलाह लेकर प्रमुख सचिव गृह ने अभियोग चलाने की अनुमति अर्जी निरस्त कर दी। याचिका संशोधित कर इस आदेश को भी चुनौती दी गयी। प्रदेश सरकार का कहना था कि राज्य सरकार का आदेश विधि सम्मत है। योगी व अन्य पर दंगा भड़काने का पर्याप्त साक्ष्य नही है। कोर्ट ने पुलिस रिपोर्ट पर कार्यवाही शुरू कर दी है। याची को अधीनस्थ न्यायालय में चुनौती देनी चाहिए। दोनों पक्षो की लम्बी बहस के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था।