प्रमुख सचिव नियुक्ति तलब, कोर्ट ने पूछा जवाब न दाखिल करने वाले अधिकारी पर क्या की कार्रवाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कई बार समय दिये जाने के बावजूद जवाबी हलफनामा दाखिल न करने पर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव नियुक्ति व कार्मिक को 10 हजार रुपये जमा करने की शर्त पर हलफनामा दाखिल करने सहित अगली सुनवाई की तिथि 9 अप्रैल को तलब किया है। कोर्ट ने कहा है कि ढाई साल बाद भी बार-बार समय दिये जाने, हर्जाना राशि दोगुनी करने के बावजूद जवाब दाखिल न करने के जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ की गयी कार्यवाही की जानकारी भी मांगी है। यह आदेश जस्टिस विवेक कुमार बिड़ला ने कुशीनगर के दिलीप कुमार की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता घनश्याम मौर्या ने बहस की।

2013 से चल रहा है प्रकरण

याची का कहना है कि 2013 में कृषि तकनीकी सहायक भर्ती परीक्षा में आरक्षण नियमों में बदलाव कर आरक्षित कोटे की सीटों में भारी इजाफा किया गया। इसकी वैधता पर कोर्ट ने लोक सेवा आयोग व राज्य सरकार से जवाब मांगा। आयोग के सचिव ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि आरक्षण तय करना सरकार का काम है। आयोग से कोई सरोकार नहीं है।

ढाई साल पहले मांगा था जवाब

कोर्ट ने राज्य सरकार से 30 सितम्बर 2015 को जवाब मांगा था। दुबारा 18 मई 17 को अतिरिक्त समय दिया गया। जवाब न आने पर 2 जून 17 को अन्तिम अवसर दिया गया। इसके बाद भी जवाब दाखिल नहीं हुआ तो कोर्ट ने 5 हजार रुपये हर्जाना लगाते हुए जवाब दाखिल करने को कहा और 2 जनवरी 18 को भी जवाब दाखिल न होने पर कोर्ट ने हर्जाना राशि दोगुनी कर दी और 10 हजार जमा करने की शर्त पर जवाब दाखिल करने का समय दिया। हर्जाना राशि बढ़ाने के बाद भी जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं हुआ तो कोर्ट ने प्रमुख सचिव को तलब किया है और पूछा है कि जवाब दाखिल न करने वाले अधिकारी के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई।