हाई कोर्ट ने रद की नीलामी नोटिस, सरकार को नये सिरे से अधिग्रहण की छूट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि अधिगृहीत जमीन के मुआवजा देने में 5 साल की देरी व भौतिक कब्जा न लेने के कारण धारा 24 (2) के तहत अधिग्रहण स्वत: समाप्त हो जाएगा। कोर्ट ने कहा है कि सरकार चाहे तो उस भूमि पर नये सिरे से नियमानुसार अधिग्रहण कर सकती है। कोर्ट ने 1987 में मेरठ विकास प्राधिकरण की रिहायशी कालोनी व वाणिज्यिक व औद्योगिक विकास के लिए रिठानी गांव को अधिगृहीत जमीन की नीलामी कार्यवाही को रद कर दिया है।

1987 में अधिग्रहित जमीन का मुआवजा नहीं दिया

यह आदेश जस्टिस दिलीप गुप्ता तथा जस्टिस जयन्त बनर्जी की खंडपीठ ने अजय गुप्ता व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक मेहता, प्रांजल मेहरोत्रा व एमके पांडेय व प्राधिकरण के अधिवक्ता रोहन गुप्ता ने बहस की। 14 अगस्त 1987 को रिठानी गांव की 1830.65 एकड़ जमीन अधिगृहीत कर मेरठ विकास प्राधिकरण को दी गयी। याचिका में तीन प्लाटों का मुआवजा न देने तथा भौतिक कब्जा न होने के आधार पर अधिग्रहण रद करने की मांग की गयी। याची का कहना था कि 2013 के नये अधिग्रहण कानून की धारा 24 (2) के तहत यदि 5 साल तक मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया और जमीन कब्जे में नहीं ली गयी तो अधिग्रहण स्वत: समाप्त हो जायेगा। प्राधिकरण का कहना था कि याची ने मुआवजा नहीं लिया तो ट्रेजरी में जमा करा दिया गयाहै। नये कानून में मुआवजा न लेने पर कोर्ट में जमा कराना चाहिए के याची के तर्क को कोर्ट ने सही माना।

जमीन पर कब्जा भी नहीं लिया

1 जनवरी 2014 से पहले याची को मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया और न ही जमीन पर कब्जा लिया गया। इसी दिन 2013 का कानून लागू किया गया है। कोर्ट ने सरकार को नये सिरे से अधिग्रहण की छूट देते हुए 19 जुलाई 2014 को जारी नीलामी नोटिस रद कर दी है और कहा कि धारा 24 (2) के तहत अधिग्रहण स्वत: समाप्त हो चुका है।