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ALLAHABAD: विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ द्वारा मई 2016 में जारी किए गए रिपोर्ट में इलाहाबाद को विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में सेकेंड नंबर पर बताया गया था। जिसने पर्यावरण संरक्षण का डंका बजा रहे सिस्टम पर सवाल उठाया था। सवाल उठाकर इसे खारिज किए जाने की कोशिश हो ही रही थी कि रविवार को सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा नई रिपोर्ट जारी कर दी गई। इसमें इलाहाबाद को देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बताया गया है। इसने डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट खारिज करने वालों को ही सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। प्रदूषण के मामले में इलाहाबाद ने देश की राजधानी दिल्ली को पीछे छोड़ दिया है।

 

 

प्रदेश सरकार की चुनौती बढ़ी

सीपीसीबी की रिपोर्ट केंद्र के साथ ही प्रदेश सरकार के लिए भी एक चुनौती बन गई है। 2019 में संगम नगरी इलाहाबाद में अ‌र्द्धकुंभ मेला का आयोजन होना है। इसमें करोड़ों लोगों को शामिल होने के लिए आना है। अगर इसी तरह पॉल्यूशन लेवल बढ़ता रहा तो स्थिति काफी भयावह होगी।

 

धूल-कार्बन से जहरीली हुई हवा

सीपीसीबी के रिपोर्ट के अनुसार इलाहाबाद में 2010 से लेकर 2017 के बीच हवा में पीएम 10 और पीएम 2.5 की मात्रा में काफी बढ़ोत्तरी हुई है

इसकी वजह से इलाहाबाद की आबोहवा जहरीली होती चली जा रही है

इलाहाबाद की हवा में पीएम 2.5 की मात्रा भी तेजी से बढ़ी है

हवा में पीएम 10 की अधिकतम मात्रा 100 और पीएम 2.5 की मात्रा 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर होना चाहिए

इलाहाबाद में पीएम 10 की मात्रा 320 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक और पीएम 2.5 की मात्रा 190 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक दर्ज की गई है

प्रदूषित 10 शहर

1. गाजियाबाद

2. इलाहाबाद

3. बरेली

4. दिल्ली

5. कानपुर

6. फिरोजाबाद

7. आगरा

8. अलवर

9. गजरौला

10. जयपुर

 

प्रदूषण बढ़ने के कारण

लगातार बढ़ रही वाहनों की संख्या और उनसे निकलने वाला धुआं

बालू और पत्थर खनन में नियमों को नजरअंदाज किया जाना

सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम का फेल होना

कचरा निस्तारित न होने से शहर में लगा गंदगी का ढेर

गाडि़यों के चलने व हवा से कचरे की गंदगी घुल रही है हवा में

इलाहाबाद में वाहनों की संख्या लगातार बढ़ती चली जा रही है। जिसकी वजह से हवा में छोटे और बड़े पार्टीकल की मात्रा लगातार बढ़ती जा रही है। जिस पर अगर अभी ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले दिनों में लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाएगा।

-प्रो। बीएन मिश्रा

पूर्व विभागाध्यक्ष भूगोल विभाग

इलाहाबाद विश्वविद्यालय

 

देश के सबसे प्रदूषित शहरों में इलाहाबाद शामिल है, इस पर विश्वास करना मुश्किल है। क्योंकि 2016 में भी डब्ल्यूएचओ ने रिपोर्ट जारी किया गया था। जिस पर सवाल उठाया गया था। कोई भी रिपोर्ट पर्यावरण की बाहरी दशाओं पर निर्धारित होता है। कौन सी रीडिंग कब और कहां ली जा रही है। रिपोर्ट का आधार क्या है? अगर सीपीसीबी ने रेग्युलर मॉनिटरिंग के आधार पर रिपोर्ट जारी किया है, तो माना जा सकता है।

-प्रो। एआर सिद्दीकी

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी