-शनिवार सुबह आए भूकंप से दहशत में आए लोग

-काफी देर तक कांपती रही धरती, सड़कों उमड़ा सैलाब

ALLAHABAD: रोजमर्रा की तरह शनिवार को शहर अंगड़ाई ले रहा था अचानक एक घटना ने पूरा माहौल बदलकर रख दिया। यह था भूकंप। भूकंप के झटकों ने इलाहाबाद को भी अपनी चपेट में ले लिया। एक के बाद एक लगातार आए दो झटकों से शहर की चूलें हिल गई। सबकुछ अस्त-व्यस्त हो गया। दहशत के चलते लोग सड़कों पर निकल आए। बच्चे क्लास छोड़कर मैदान में जमा हो गए। मॉल और मार्केट में अफरा-तफरी मच गई।

घंटे भर के भीतर दो झटके

शनिवार सुबह क्क्:ब्ख् मिनट पर आए भूकंप के झटके ने शहर को हिलाकर रख दिया। लोगों के घरों दरवाजे, खिड़की, कम्प्यूटर, छत और दीवारें सबकुछ कांपने लगे। बीस से तीस सेकंड तक इन झटकों को महसूस किया जाता रहा। लोग दहशत के चलते सड़क पर आ गए। टै्रफिक भी गडबड़ा गया। अभी लोग संभले भी नहीं थे क्ख्:0भ् मिनट पर दूसरा जोरदार झटका महसूस किया गया। इसने लोगों की रही सही हिम्मत भी तोड़ दी। लोग किसी अनहोनी की आशंका से भयभीत हो गए। हालांकि, तीसरे झटके की बात भी हो रही है जिसे लोग महसूस नहीं कर सके।

पलक झपकते खाली हो गए अपार्टमेंट

वाईएमसीए स्कूल के सामने स्थित सरोजिनी अपार्टमेंट के लोग देखते ही देखते सड़क पर आ गए। यहां रहने वाले औसाद बताते है कि वह घर में बैठकर टीवी देख रहे थे कि इसी दौरान सबकुछ हिलने लगा। पहले लगा कि मुझे चक्कर आ रहा है लेकिन दूसरे फैमिली मेंबर्स चिल्लाए की भूकंप आ गया है। इसी अपार्टमेंट की मीनाक्षी सिंह का कहना है कि वह जैसे-तैसे किचन से बाहर निकल सकीं। लगभग यही हालात शहर के दूसरे अपार्टमेंट के भी रहे, जहां लोग अगले कई घंटों तक अंदर जाने की हालत नहीं जुटा सके।

बिना बैग लिए घर आए बच्चे

जिस समय भूकंप आया, उस दौरान शहर के कई स्कूल चल रहे थे। झटके लगने के बाद अफरा-तफरी मच गई और बच्चों को बमुश्किल क्लास रूम से बाहर लाया जा सका। फाफामऊ स्थित गंगागुरुकुलम के बच्चे क्लासरूम में स्कूल बैग लाने की हिम्मत नहीं जुटा सके। रानी रेवती देवी, ज्वाला देवी, जीएचएस में बच्चों को बाहर के मैदान में एकत्र कर दिया गया। इसी तरह अन्य स्कूलों में भी फटाफट छुट्टी कर दी गई। शहर की ऊंची इमारतों में शुमार सिविल लाइंस के इंदिरा भवन के सातवें और आठवें तल में स्थित एडीए के कर्मचारी और अधिकारी भूकंप आने के बाद सड़कों पर उतर आए। एडीए सचिव सहित दूसरे कर्मचारियों ने दोबारा ऊपर जाने की हिम्मत नही जुटाई। संगम प्लेस स्थित ऑफिसेज में भी सन्नाटा छा गया। प्राइवेट ऑफिसेज डर के चलते बंद कर दिए। सभी की जुबान में दिनभर भूकंप की दास्तां रही। इंदिरा भवन स्थित मार्केट की दुकानें भी आनन-फानन में बंद कर दी गई।

कहीं हकीकत तो कहीं अफवाह

भूकंप के झटकों से हुए नुकसान को लेकर दिनभर तरह-तरह के कयास लगाए जाते रहे। धूमनगंज नीमसराय में पेड़ गिरने, मॉडल कंट्रोल रूम में दीवार चटकने, फाफामऊ और नैनी सहित अन्य इलाकों में मकान की दीवार गिरने, राजरूपपुर में मकान क्षतिग्रस्त होने समेत सिविल लाइंस स्थित बिग बाजार मॉल के दीवार का कांच टूटने की सूचना मिलती रही। जिसको लेकर पुलिस और प्रशासन के अधिकारी दिनभर दौड़-भाग जानकारियां एकत्र करने में लगे रहे। हालांकि, अधिकारिक तौर पर शहर में किसी प्रकार के जान माल की हानि की सूचना नहीं मिली है।

विभिन्न पैमाने पर भूकंप का असर

रिक्टर स्केल पैमाना असर

0 से क्.9- इस स्तर पर कंपन हम महसूस नहंी कर पाते सिर्फ सीस्मोग्राफ से ही पता चल सकता है

ख् से ख्.9- हल्का कंपन

फ् से फ्.9- कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, ऐसा असर

ब् से ब्.9- खिड़कियां टूट सकती हैं दीवारों पर टंगे फ्रेम गिर सकते हैं

भ् से भ्.9- फर्नीचर हिल सकता है

म् से म्.9- इमारतों की नींव दरक सकती है ऊपरी मंजिलों को नुकसान हो सकता है

7 से 7.9- इमारतें गिर जाती हैं जमीन के अंदर पाइप फट जाते हैं

8 से 8.9- इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं

9 और उससे ज्यादा- पूरी तबाही, कोई मैदान में खड़ा हो तो उसे धरती लहराते हुए दिखेगी, समंदर नजदीक हो तो सुनामी

पहले तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ। बाहर देखा तो लोग घरों से बाहर निकल कर किसी सुरक्षित स्थन पर भाग रहे थे। तब मुझे एहसास हुआ कि भूकंप के झटके लग रहे हैं।

अलोक नायर

-पहले झटके को तो मैं समझ नहीं पाया था लेकिन कुछ देर के बाद जब सेकंड टाइम भूकंप आया तब जाकर ये महसूस हुआ। जिसके बाद तुरंत मैंने अपने फैमिली मेंबर और फिर जानने वालों को हाल चाल लिया।

संजय त्रिपाठी

-भूंकप के झटके जब आए, मैं अपनी क्लीनिक पर था। मैंने तुरंत घर वालों को फोन किया और उन्हें अपार्टमेंट से बच्चों के संग बाहर आने की सलाह दी। थैंक गॉड भूकंप से कोई हताहत नहीं हुआ।

वैभव कुलश्रेष्ठ

-मुझे लगता है कि काफी सालों के बाद सिटी में भूकंप आया है। वह भी कुछ समय के अंतराल में दो बारह झटके आने से पूरा शहर हिल गया। सभी अपने अपने घरों से फैमिली के साथ बाहर आ गए।

पंकज सिंह

-मैं घर के किचन में थी। मैंने देखा कि फर्श और टेबिल पर रखे बर्तन हिल रहे थे। कुछ पल के लिए तो मैं हैरान थी मगर बाद जैसे ही घर के अन्य मेंबर ने भूकंप आने की जानकारी दी। तब हम सभी बाहर आ गए।

पूजा

-मैं घर पर था और उस वक्त काम कर रहा था। झटके लगने से हम काफी डर गए।

अमर तेव

-मैं स्कूल बस से घर पहुंचा था। सभी लोग घर से बाहर खड़े थे। पूछने पर पता चला कि भूकंप आया है। दूसरी बार झटके लगे तो मुझे पता चला कि भूकंप कैसे आता है।

तरुण

-मुझे तो लगा कि एक पल में न जाने क्या होने वाला है। मैंने बिना सोचे-समझे अपने बच्चे को लेकर घर के बाहर आ गई।

सीमा श्रीवास्तव

-इससे पहले लोगों ने देर रात भूकंप के झटके महसूस किए थे लेकिन इस बार दिन में झटके लगने से सब दहशत में आ गए हैं।

मीनाक्षी

-मैंने देखा कि स्टैंड में लगे बर्तन हिल रहे थे। तभी मुझे लगा कि कुछ गड़बड़ है। इसी बीच घर वालों का फोन और उन्होंने बताया कि भूकंप आ रहा है।

सविता

-मैं घर पर बैठा आराम कर रहा था। अचानक झटके लगने के बाद खिड़की की तरफ भागा तो देखा सभी बाहर जाने की कोशिश कर रहे हैं। मैं भी सबके साथ निकल गया।

एम डी मिश्रा

-जब तक लोग समझते कि उससे पहले ही भूकंप ने अपने दो झटके देकर लोगों को दहशत ला दिया। मेरे ख्याल से ऐसा पहली बार हुआ है जब कुछ मिनटों में दो बार भूकंप के झटके आए।

गुलशेर