पूरे ठाठ बाट से नैनी जेल में रह रहा है अभिषेक माइकल

मीटिंग में सीएमपी छात्रसंघ अध्यक्ष आशुतोष त्रिपाठी भी था शामिल

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PRAYAGRAJ: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में सोमवार की मध्य रात्रि में हुए रोहित शुक्ला हत्याकांड के तार नैनी जेल से जुड़े होने के भी संकेत मिले हैं. कई ऐसे तथ्य सामने आये हैं जो संकेत करते हैं कि क्रास फायरिंग हुई थी इसमें गोली एक हमलावर को भी लगी है. यह तथ्य भी सामने आया है कि रोहित घटना से एक दिन पहले जेल में बंद छात्र नेताओं से मिला था इसकी पुष्टि पुलिस भी कर रही है. उसके हाथ पर जेल की मुहर लगी थी.

ठेके से आदर्श चल रहा था खफा

पहले बात स्टूडेंट एक्टिविटी सेंटर की करते हैं. जानकारों का कहना है कि इसका ठेका माइकल के करीबी को दिया गया. इससे हत्यारोपी आदर्श त्रिपाठी खफा था. सेंटर में काम रोहित ने नहीं बल्कि आदर्श ने रुकवाया था. इसके बाद दोनों के बीच तनातनी बढ़ी. बता दें कि आदर्श ने इविवि छात्रसंघ चुनाव में बिना किसी के समर्थन के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा था. उसे कुल 90 मत प्राप्त हुए थे. यही से उसे नेतागिरी और दबंगई का शौक भी चढ़ा. पूर्व में उसका कोई आपराधिक रिकार्ड होने की बात अभी तक सामने नहीं आयी है. बताते हैं कि उसे चुनाव लड़ने से अच्युतानंद शुक्ला ने तब रोका भी था.

सामना हुआ तो भारी पड़ गया आदर्श!

विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि रोहित शुक्ला बीते रविवार को ही जेल में जाकर छात्रसंघ के पूर्व महामंत्री और जरायम की दुनिया में तेजी से पैठ जमा रहे अभिषेक सिंह माइकल से मिला था. मुलाकात के समय माइकल ने नाइक का जूता और काले रंग का कपड़ा पहन रखा था. बताते हैं कि जेल के भीतर माइकल पूरी ठाठ बाट से रह रहा है. जेल के भीतर तीन लोगों के बीच मीटिंग हुई. जिसमें माइकल और रोहित के अलावा पीसीबी हास्टल में अच्युतानंद शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी सीएमपी डिग्री कॉलेज का छात्रसंघ अध्यक्ष आशुतोष त्रिपाठी भी शामिल था. अब कहानी थोड़ा यही से उलझ जाती है. क्योंकि रोहित अच्युतानंद हत्याकांड का गवाह भी है तो वह जेल में जाकर माइकल से क्यों मिला? सवाल है कि क्या अच्युतानंद की हत्या के बाद रोहित ने माइकल से हाथ मिला लिया था. क्या आदर्श को ठिकाने लगाने के लिए वह माइकल से मिलने जेल गया था. विश्वस्त सूत्रों का यह भी कहना है कि रोहित किसी समझौते के इरादे से हत्या वाली रात आदर्श से मिलने नहीं गया था, बल्कि मरने-मारने की नीयत से गया था. सामना हुआ तो प्रतिद्वन्दी हावी हो गये और उसे जान गंवानी पड़ गयी. सूत्रों का कहना है कि एक गोली हत्यारोपी को भी लगी है. इससे क्रास फायरिंग के संकेत मिले हैं. इसके बाद यह सवाल अब भी जस का तस बना हुआ है कि क्रास फायरिंग हुई तो रोहित का असलहा कहां गया?

जातिगत वर्चस्व की जंग चल रही थी

सात माह के भीतर पीसीबी हास्टल में अच्युतानंद शुक्ला और रोहित शुक्ला हत्याकांड की कहानी केवल दो गुटों के बीच की लड़ाई तक ही सीमित नहीं है. यह ब्राहम्ण और ठाकुर गुट के बीच शह और मात की लड़ाई भी है. जिसके तार बाहर के माफियाओं और बड़े नेताओं से जुड़े हैं. वर्चस्व की इस जंग का पटाक्षेप पूर्व माफिया डान श्रीप्रकाश शुक्ला की तर्ज पर तेजी से आगे बढ़ रहे अच्युतानंद की हत्या के बाद हो जाना माना जा रहा था लेकिन रोहित की हत्या के बाद इसके फिर से सिर उठाने के संकेत हैं.