इविवि में हिन्दी विभाग के एचओडी बोले पूरा करेंगे दो साल का कार्यकाल

ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में हिन्दी विभाग के एचओडी प्रो। केएस पांडेय ने कुलपति प्रो। आरएल हांगलू के आदेश को दरकिनार करते हुए पद छोड़ने से इंकार कर दिया है। कुलपति ने उन्हें विभाग में हाल ही में नियुक्त 32 नए शिक्षकों की गंभीर शिकायतों के बाद हटाकर विभाग की ही प्रो। चंदा देवी को चार्ज सौंपने को कहा था। प्रो। पांडेय के खिलाफ कार्रवाई 08 अगस्त को मंत्रालय को भेजे उस पत्र के चलते भी की गई। जिसमें विभाग में हुई शिक्षक भर्ती में अयोग्य लोगों की नियुक्ति का आरोप लगाया गया है। प्रो। पांडेय का कहना है कि विभाग का कामकाज बाधित न हो। इसके लिए उन्होंने चाभी सौंप दी है। उनका कार्यकाल दो साल का है, जिसे वे पूरा करेंगे। उन्हें हिन्दी विभाग में हेड की कुर्सी 19 जनवरी 2018 को मिली थी।

दूसरे दिन नहीं दर्ज हुआ मुकदमा

हालांकि, प्रो। केएस पांडेय ने यूजीसी चेयरमैन, एमएचआरडी और राज्यपाल को भेजे गए लेटर को फर्जी बताया है। उन्होंने इसके खिलाफ कर्नलगंज थाने में तहरीर भी दी है और उनके नाम का उपयोग करते हुए फर्जी लेटर भेजने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। मंगलवार को पुलिस को दी गई तहरीर पर बुधवार शाम तक मुकदमा दर्ज नहीं हो सका था। हालांकि, प्रो। केएस पांडेय ने कुलपति को लिखे 10 अगस्त के लेटर में कहा कि विभाग में नव नियुक्त चार अध्यापकों जिसमें दो सह आचार्य तथा दो सहायक आचार्य शामिल है। इनकी नियुक्ति महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विवि वर्धा के क्षेत्रीय केन्द्र इलाहाबाद में हुई है। जिनका अनुमोदन वर्धा विवि के कुलपति द्वारा किया गया है। इसमें सह आचार्य डॉ। राजेश कुमार गर्ग एवं डॉ। राकेश कुमार सिंह तथा सहायक आचार्य डॉ। सुधा त्रिपाठी एवं डॉ। सुरभि त्रिपाठी शामिल हैं। एचओडी ने पत्र में कहा है कि यह अत्यंत निंदनीय है। कुलपति से कहा है कि हम दोनो इनके चयन में सह अपराधी। इनके खिलाफ उचित कार्रवाई करें।

08 अगस्त के लेटर में हैं गंभीर बातें

उधर, प्रो। केएस पांडेय ने खुद के नाम से मंत्रालय को भेजे गए जिस लेटर को फर्जी बताया है। उसमें कई ऐसी बातें शामिल हैं। जिससे एयू एडमिनिस्ट्रेशन की पेशानी पर बल पड़ गया है। इसकी जांच के लिए कुलपति ने संगीत विभाग की अध्यक्ष प्रो। संगीता श्रीवास्तव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया है। यूजीसी व मंत्रालय को भेजे 08 अगस्त के लेटर में कई गंभीर बातें शामिल हैं। इसमें प्रो। केएस पांडेय के हवाले से कहा गया है कि कुलपति मुझे पद से हटाने की साजिश कर रहे हैं। हिन्दी विभाग में बीते माह में 32 नए शिक्षकों की नियुक्ति की गई। जिनमें अधिकतर नियुक्तियां अयोग्य लोगों की गई। कुलपति ने मनमानी करते हुए बहुत से अपने लोगों को नियुक्त किया है। विषय विशेषज्ञों की भी नियुक्ति में कुछ नहीं चली। कुलपति ने मुझे भी नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल नहीं किया। नव नियुक्त कुछ शिक्षक दो-दो जगहों से वेतन ले रहे हैं।

06 में 04 नाम वही

गौर करने वाली बात यह है कि 08 अगस्त के इस लेटर में जिन छह शिक्षकों की अयोग्यता का जिक्र किया गया है। उनमें से 04 नाम वही हैं जो 10 अगस्त को प्रो। पांडेय द्वारा कुलपति को लिखे लेटर में शामिल हैं। 08 अगस्त के लेटर में आगे कहा गया है कि इन छह नए शिक्षकों में से दो दिन रात कुलपति के घर और कार्यालय में जाकर मेरे बारे में उल्टी सीधी बातें बताते हैं। क्योंकि ये लोग अक्षम होने के कारण पढ़ाने में बिल्कुल यकीन नहीं करते और मैं उन्हें क्लास लेने पर मजबूर करता हूं। भाषा विज्ञान जैसा विषय न पढ़ाने के लिए इन्होंने खूब दबाव बनाया। मंत्रालय से मांग की है कि इसकी गुप्त जांच करवाई जाए और मेरा नाम भी गुप्त रखा जाए। मंत्रालय द्वारा कुलपति को आदेश दिया जाए कि मुझे किसी भी तरह पद से न हटा सके।