मई 2012 में भी हॉस्टल के मसले पर हुई हिंसा की जांच करने आई थी फैक्ट फाइंडिंग कमेटी

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस बार भी गठित की कमेटी, 12 से 15 मई के बीच कमेटी के आने की संभावना

ALLAHABAD: इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा एक बार फिर फैक्ट फाइंडिंग कमेटी भेजी जा रही है। कमेटी के विश्वविद्यालय में आने के पीछे की वजह भी हास्टलों के वाश आउट के विरोध में हुई हिंसा ही है। इसी मसले पर 2012 में कमेटी आई थी और प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा शिक्षकों, छात्रों व कर्मचारियों से हिंसा की असल वजह जानने की कोशिश की थी।

वाश आउट के विरोध में हिंसा

विश्वविद्यालय में हॉस्टलों को पूरी तरह से वाश आउट कराए जाने के विरोध में 28 अप्रैल को जमकर बवाल हुआ था। पथराव और आगजनी की घटना में कई गाडि़यों को फूंक दिया गया था। 22 छात्रों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। इसके बाद लगातार छात्रों की ओर से कुलपति को बर्खास्त करने और उनके कार्यकाल की जांच कराने की मांग की जा रही थी।

पहले भी मई में ही आई कमेटी

छात्रों के बढ़ते दबाव के बीच एक मई को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने विश्वविद्यालय में हुई हिंसा के पीछे के पहलुओं को जानने के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यह कमेटी 12 से 15 मई के बीच विश्वविद्यालय में आएगी। संयोग की बात ही है कि 2012 में हुई हिंसा के बाद भी मई माह में फैक्ट फाइंडिंग कमेटी विश्वविद्यालय आई थी और पांच साल बाद फिर उसी मसले पर कमेटी विश्वविद्यालय आ रही है।

हॉस्टलों की देखेगी दुर्दशा

माना जा रहा है कि फैक्ट फाइंडिंग कमेटी विश्वविद्यालय आएगी तो हॉस्टलों में जरुर जाएगी। हिन्दू हॉस्टल के अन्त:वासी पवन कुमार यादव का कहना है कि दूसरे हॉस्टलों में रहने वाले छात्रों को पूरी जानकारी एकत्र करने के लिए कहा गया है। ताकि जब कमेटी आए तो उसके सामने हॉस्टलों की दुर्दशा की पूरी जानकारी साक्ष्यों सहित दिखाई जा सके।