बारहवीं के स्टूडेंट्स ने घुसपैठ रोकने के लिए तैयार किया मॉडल

आर्डिनों व अल्ट्रासोनिक स्क्रीन से लैस रोबो की 200 मीटर तक है रेंज

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ALLAHABAD: बार्डर की सुरक्षा में लगे देश के जवानों के लिए हर कोई सोचता है। इसी सोच ने बारहवीं के दो स्टूडेंट्स में ऐसा मॉडल बनाने का जब्बा पैदा कर दिया, जिससे बार्डर की सुरक्षा आसानी से हो जाए। सिटी के आरएन सिंह पटेल इंटर कालेज के दो छात्रों विशाल गुप्ता और अमित सिंह ने मिलकर आर्मी डिफेंडर रोबो तैयार किया है। यह बॉर्डर पर सुरक्षा के साथ ही आए दिन होने वाली घुसपैठ को रोकने में भी मददगार साबित होगा। स्टूडेंट्स ने अपने मॉडल को प्रदेश स्तर पर बरेली में हुई साइंस प्रतियोगिता में प्रस्तुत किया। इसे लोगों ने खूब सराहा। स्टूडेंट्स ने प्राइज भी जीता। मॉडल के बारे में उन्होंने बताया कि पिछले दिनों उरी हमले के बाद इस रोबोट को बनाने का विचार उनके मन में आया।

क्या है डिफेंडर रोबो

डिफेंडर रोबो का मुख्य कार्य जीवन रक्षा है। स्टूडेंट्स ने रोबोट को तैयार करने के लिए लकड़ी के टुकड़े का प्रयोग किया है। जिसमें वे लोहे का ग्लैम्प लगाते हैं। इन ग्लैम्पों में छह मोटर लगी हैं। रोबोट को चलाने के लिए छह पहिए लगे हैं। रोबोट में आर्डिनों व अल्ट्रासोनिक स्क्रीन का प्रयोग किया गया है। इसके प्रयोग से काफी दूर तक का एरिया सुरक्षित रखा जा सकेगा। साथ ही आर्डिनों व आल्ट्रासोनिक सेंसर से रोबोट में लगी गन को ऑपरेट भी किया जा सकता है। इनकी रेंज पांच सेटीमीटर से लेकर 200 मीटर तक है। इनके रेंज में आने वाले किसी भी टारगेट को आसानी से हिट किया जा सकता है। ऐसे में यदि इनका प्रयोग बार्डर पर सुरक्षा के लिए किया जाता है तो वहां ये घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों को टारगेट कर सकते हैं और आर्मी को होने वाले जान माल के नुकसान को कम किया जा सकता है।

कैमरा कैप्चर कर लेगा टारगेट

विशाल गुप्ता ने बताया कि रोबोट में कैमरे का प्रयोग भी किया गया है, जिसकी मदद से वह टारगेट को आसानी से कैप्चर कर सकता है। इसमें एक अल्फ्रा रेड कैमरे का प्रयोग किया गया है। जो रात के अंधेरे में भी कार्य करता है। रोबोट की खासियत है कि यह 360 डिग्री तक रोटेट किया जा सकता है। इससे यह कहीं भी फायर करने में सक्षम है।

अंधेरे में घुसपैठ पर भी नियंत्रण

रोबोट के प्रयोग के बारे में विशाल गुप्ता ने बताया कि इसका इस्तेमाल बार्डर पर किया जा सकता है। बार्डर पर तैनात करने से आए दिन होने वाली घुसपैठ करने वालों को टारगेट किया जा सकता है। खासकर अंधेरे में होने वाली घुसपैठ पर भी नियंत्रण किया जा सकता है। आर्मी बेस कैंप की सुरक्षा में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। इसके अलावा एयरक्राफ्ट, जासूसी, जेलों में सुरक्षा और सर्जिकल स्ट्राइक आदि में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।