कानपुर। कहीं आपका मोबाइल आपको धीरे-धीरे बीमार तो नहीं बना रहा है, यह बात इसलिए बहुत जरूरी है, क्योंकि कुछ सबसे लोकप्रिय मोबाइल फोन्स में भी तय सीमा से अधिक रेडिएशन निकलने की रिपोर्ट सामने आई है। जर्मनी के फेडरल ऑफिस ऑफ रेडिएशन प्रोटेक्शन की रिसर्च के आंकड़ों के आधार पर स्टेटिस्टा ने रेडिएशन फैलाने वाले मोबाइल सेट्स की लिस्ट जारी की है, जिसमें लोकप्रिय कंपनियों के मोबाइल भी शामिल हैं। इस लिस्ट में शाओमी, वनप्लस, एचटीसी, गूगल, एपल, जेडटीई और सोनी जैसे ब्रांड नेम शामिल हैं।

क्या है मोबाइल रेडिएशन?
रेडियोफ्रीक्वेंसी रेडिएशन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन का ही एक प्रकार है। इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन दो तरह के होते हैं- एक आइयोनाइजिंग (एक्स-रे, कॉस्मिक रे आदि) और दूसरा नॉन-आइयोनाइजिंग (रेडियोफ्रीक्वेंसी, ये काफी लो-फ्रीक्वेंसी वाले होते हैं)। मोबाइल फोन रेडिएशन को नॉन-आइयोनाइजिंग कैटेगरी में रखा गया है। नॉन-आइयोनाइजिंग रेडिएशन विभिन्न प्रकार के विद्युत चुंबकीय रेडिएशन को दर्शाता है। यह अणुओं को आयनित नहीं करता है, जो अधिक हानिकारक रेडिएशन पैदा कर सकता है। मोबाइल के बढ़ते इस्तेमाल, शरीर से नजदीकी और बढ़ती संख्या की वजह से मोबाइल रेडिएशन खतरनाक साबित हो सकता है।

कितना नुकसानदायक है रेडिएशन
मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडिएशन से कितना नुकसान होता है? इस पर लगातार रिसर्च हो रहा है। 2010 में डब्ल्यूएचओ की एक रिसर्च में खुलासा हुआ था कि मोबाइल रेडिएशन से कैंसर होने तक का खतरा होता है। रिसर्च में ऐसा भी सामने आ चुका है कि अगर आप 50 मिनट तक लगातार एक मोबाइल फोन को इस्तेमाल करते हैं, तो यह आपके दिमाग के सेल्स को प्रभावित कर सकता है। अगर आप ऐसा रोज ही करते रहते हैं, तो आपके दिमाग को नुकसान पहुंच सकता है। रिसर्चर्स का मानना है कि फोन से निकलने वाला रेडिएशन स्पर्म के लिए भी नुकसानदायक हैं और यह इनफर्टिलिटी का कारण हो सकता है। सेंट्रल यूरोपियन जर्नल ऑफ यूरोलॉजी में 2014 के रिसर्च में पाया गया कि जिन पुरुषों ने अपने फोन को लंबे समय तक सामने की जेब में रखा, उनमें स्पर्म की संख्या कम थी।

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क्या है रेडिएशन का गणित
एसएआर यानी स्पेसिफिक ऑब्जर्शन रेट लेवल मोबाइल से निकलने वाले रेडिएशन को जांचने का एक आसान तरीका है। हर मोबाइल फोन का एक स्पेसिफिक ऑब्जर्शन रेट होता है यानी फोन कितना रेडिएशन पैदा करता है, जो शरीर के लिए हानिकारक नहीं है। जिस मोबाइल की एसएआर संख्या जितनी ज्यादा होगी, वह शरीर के लिए उतना ही ज्यादा नुकसानदेह होगा। मिनिस्ट्री ऑफ कम्युनिकेशन के स्पेसिफिक ऑब्जर्शन रेट (सार) के तहत किसी भी स्मार्टफोन, टैबलेट या अन्य स्मार्ट डिवाइस का रेडिएशन 1.6 वॉट प्रति किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए। शरीर से डिवाइस की 1.5 सेंटीमीटर की दूरी पर भी यह नियम लागू होता है। वैसे, कई देशों में एसएआर लेवल 2 वॉट प्रति किलोग्राम है। यदि फोन पर बात करते हुए या जेब में रखे हुए आपका डिवाइस रेडिएशन की इस सीमा को पार करता है, तो यह खतरनाक है। सभी मोबाइल पर रेडिएशन संबंधी जानकारी देनी जरूरी होता है।

ऐसे चेक कर सकते हैं मोबाइल का रेडिएशन
अगर अपने मोबाइल फोन के रेडिएशन को चेक करना चाहते हैं, तो इसके लिए अपने मोबाइल फोन पर *#07# डायल करना होगा। यह नंबर डायल करते ही मोबाइल स्क्रीन पर उस फोन के रेडिएशन संबंधी जानकारी आ जाएगी। इसमें दो तरह से रेडिएशन के लेवल को दिखाया जाता है। एक हेड और दूसरा बॉडी। हेड यानी फोन को कान पर सटाकर बातचीत करते हुए मोबाइल रेडिएशन का लेवल क्या है और बॉडी यानी फोन का इस्तेमाल करते हुए या जेब में रखने के दौरान रेडिएशन का लेवल क्या है? देश में रेडिएशन का जो मानक रखा गया है, अगर यह उससे काफी कम है, तो इसका मतलब है कि शरीर को कोई नुकसान नहीं होगा।

रेडिएशन से बचना है, तो अपनाएं ये तरीके
किसी भी फोन डिवाइस को रेडिएशन से बिल्कुल मुक्त तो नहीं किया जा सकता, लेकिन कुछ समय के लिए इससे बचा जरूर जा सकता है। ऐसे में इन उपायों को फॉलो कर सकते हैं..

1- फोन को चार्ज पर लगाकर कभी बात न करें। इस दौरान कई बार मोबाइल रेडिएशन 10 गुना तक बढ़ जाता है। साथ ही, सिग्नल कमजोर होने या फिर बैटरी डिस्चार्ज होने पर कॉल न करें। इस दौरान भी रेडिएशन लेवल बढ़ जाता है।

2- कॉल करने लिए ईयरफोन या हेडफोन का इस्तेमाल करें। इससे शरीर पर रेडिएशन का इफेक्ट कम पड़ता है।

3- मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं, तो इसके साथ प्रोटेक्टिव केस का उपयोग करें। बाजार में इस तरह के केस मिल जाएंगे, जो रेडिएशन के सीधे असर को कम कर सकता है।

4- फोन को शरीर से जितना दूर रखेंगे, उतना आपके लिए बेहतर हो सकता है। फोन को दिल के करीब वाली जेब या फिर पैंट की जेब में न रखें।

5- रेडिएशन कम करने के लिए अपने फोन के साथ एंटी-रेडिएशन शील्ड का इस्तेमाल कर सकते हैं।

क्या कहती है रिपोर्ट
जर्मनी के फेडरल ऑफिस ऑफ रेडिएशन प्रोटेक्शन के रिसर्च के आंकड़ों के आधार पर स्टेटिस्टा ने रेडिएशन फैलाने वाले 16 स्मार्टफोन की जो लिस्ट जारी की है, उसमें शाओमी, वनप्लस, एचटीसी, गूगल, एपल, जेडटीई और सोनी जैसे ब्रांड शामिल हैं। हालांकि यह रिसर्च जर्मनी की फेडरल ऑफिस ऑफ रेडिएशन प्रोटेक्शन द्वारा की गई है। जर्मनी में एसएआर की सीमा 2 वॉट प्रति किलो है, जबकि भारत में एसएआर की सीमा 1.60 वॉट प्रति किलो है। कंपनियां अलग-अलग देश में भिन्न एसएआर लेवल के साथ फोन लॉन्च करती है। इसलिए इस रिपोर्ट में जारी किए गए आकंड़े को भारत के संदर्भ में पूरी तरह जोड़कर नहीं देखा जा सकता, लेकिन स्मार्टफोन खरीदते समय अगर रेडिएशन पर ध्यान रखेंगे, तो यह आपकी हेल्थ के लिए बेहतर होगा।

रेडिएशन से बचाएगा एनवायरोचिप
हाल ही में साइनर्जी एनवाइरोनिक्स ने एनवायरोचिप पेश किया है। यह मोबाइल, लैपटॉप, टैबलेट और अन्य वाइ-फाइ उपकरणों से निकलने वाले हानिकारक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन से सुरक्षित करता है। इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन (ईएमआर) से निरंतर संपर्क एक साइलेंट किलर की तरह काम करता है। ईएमआर को इंसानी आंखों से नहीं देखा जा सकता है। कंपनी का दावा है कि 500 से अधिक लोगों पर किए गए परीक्षणों से पता चला कि एनवायरोचिप के इस्तेमाल के बाद उनके दिमाग में तनाव का स्तर 5 फीसदी तक कम हुआ है।

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