- शहर के ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स के लिए मारामारी शुरू

- कई घंटों के इंतजार के बाद आता है नंबर

ALLAHABAD: सरकारी रिकार्ड में भले ही अभी तक आधा दर्जन डेंगू के मरीज दर्ज हों लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। शहर के सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल्स में भर्ती मरीजों का इलाज डेंगू के लक्षणों के आधार किया जा रहा है। उनको कई यूनिट प्लेटलेट्स भी चढ़ाई जा रही हैं। जिसकी तस्दीक ब्लड बैंकों में लगने वाली भीड़ से हो रही है। सुबह से शाम तक लाइन लगाए परिजन प्लेटलेट्स की डिमांड कर रहे हैं और मांग के अनुरूप पूर्ति करने में कई घंटे का समय लग रहा है।

शुरू हो गई क्राइसिस

शहर में तेजी से बढ़ रहे डेंगू के मरीजों की संख्या के चलते ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स की क्राइसिस शुरू हो गई है। शहर के सबसे बड़े इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के ब्लड बैंक में प्रतिदिन क्ख्0 यूनिट प्लेटलेट्स तैयार होती हैं और इससे ज्यादा डिमांड होती है। लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। वर्तमान में एक यूनिट का दाम चार सौ रुपए निर्धारित है। लेकिन, जल्द ही प्लेटलेट्स की मांग करने वालों को बदले में ब्लड डोनेशन भी करना पड़ सकता है। क्राइसिस को देखते हुए संस्था द्वारा यह निर्णय लिया जा रहा है।

यहां भी बढ़ गई डिमांड

सरकारी सेक्टर में एसआरएन हॉस्पिटल के ब्लड बैंक में भी प्लेटलेट्स की डिमांड बढ़ती जा रही है। अगस्त की अपेक्षा सितंबर में प्रतिदिन प्लेटलेट्स की खपत क्भ् से ख्0 यूनिट पहुंच चुकी है। यहां के सीनियर काउंसलर विनोद तिवारी का कहना है कि दिन-प्रतिदिन मांग बढ़ती ही जा रही है। हालांकि, एडवांस में प्लेटलेट्स बनाकर रखने से नुकसान का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि अगर ऐसे ही डिमांड बढ़ती रही तो जल्द ही बदले में रक्तदान कराने की नौबत आ सकती है। एसआरएन हॉस्पिटल में एक यूनिट प्लेटलेट्स का चार्ज दो सौ और एएमए ब्लड बैंक में ब्भ्0 रुपए है। सरकारी हॉस्पिटल में दाम कम होने के बावजूद लोगों को राहत नहीं मिल रही है, क्योंकि प्राइवेट हॉस्पिटल के डॉक्टर एएमए ब्लड बैंक से ही प्लेटलेट्स लाने की सलाह देते हैं।

ये डेंगू नहीं है तो और क्या है

हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले मरीजों की प्लेटलेट्स की काउंटिंग ख्0 हजार से नीचे आते ही उसे प्लेटलेट्स चढ़ाई जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि खासतौर से डेंगू के केसेज में मरीज के खून से प्लेटलेट्स तेजी से कम होती है। ऐसे में बिना जांच रिपोर्ट का इंतजार किए सबसे पहले उसे प्लेटलेट्स चढ़ाना जरूरी हो जाता है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो मरीज की जान भी जा सकती है।