- रामगोपाल कैंप को झटका, मुख्यमंत्री की नाराजगी भी दरकिनार

- मुलायम सिंह यादव ने की ताजपोशी, अमर का फिर बढ़ा कद

- सपा में फिर बदले समीकरण, ताजपोशी और गाज से ऊहापोह

LUCKNOW (20 Sept):

समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अपने एक और मास्टर स्ट्रोक से सबको चित कर दिया है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और प्रोफेसर रामगोपाल यादव की नाराजगी को दरकिनार कर उन्होंने अमर सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाने का ऐलान कर दिया। मंगलवार को मुलायम ने अमर सिंह की ताजपोशी का फरमान जारी कर दिया। साथ ही उम्मीद जताई कि वे चुनाव में पार्टी को मजबूती देने का काम करेंगे। वहीं इस फैसले से पार्टी में पिछले कुछ दिनों से चल रही 'रार' के बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। मालूम हो कि मुख्यमंत्री ने अमर सिंह को कभी भी 'अंकल' कहने से इनकार करके अपनी नाराजगी के संकेत दिए थे, तो रामगोपाल यादव ने तो बाकायदा अमर सिंह के खिलाफ मोर्चा ही खोल ि1दया था।

'जिम्मेदार' को ही जिम्मेदारी

पहले दो मंत्रियों की बर्खास्तगी, उसके बाद मुख्य सचिव की विदाई और इसके जवाब में शिवपाल के विभागों की छंटनी, सपा में मची इस उथल-पुथल को शांत करने आए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने पूरी कलह का 'जिम्मेदार' अमर सिंह को ठहरा दिया था। इतना ही नहीं, अमर सिंह को पार्टी से बाहर करने के साथ कार्यकर्ताओं द्वारा उन्हें सबक सिखाए जाने की बात तक कही थी। वहीं मुख्यमंत्री ने भी सार्वजनिक रूप से अमर सिंह को 'बीच वाले' करार देते हुए भविष्य में कभी भी उन्हें अंकल न कहने का ऐलान तक कर दिया था। वहीं शिवपाल सिंह यादव खुलकर अमर सिंह के समर्थन में आ गये थे। हालात तब बिगड़े जब शनिवार को अखिलेश यादव को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाये जाने के विरोध में तमाम युवा कार्यकर्ताओं ने मुलायम का आवास घेर लिया और उनके खिलाफ आपत्तिजनक नारे लगाने लगे। इसके बाद मुलायम ने अखिलेश को फोन करके अखिलेश से तत्काल कार्यकर्ताओं को हटाने को कहा।

मुलायम ने दिखाए तेवर

इसके बाद मुलायम अचानक पार्टी मुख्यालय पहुंचे और कार्यकर्ताओं पर जमकर बरसे। अमर सिंह को अपना मुश्किल दौर का साथी बताया। इसके बाद मुलायम ने उपद्रव करने वाले नेताओं पर कार्रवाई शुरू की और सबसे पहले रामगोपाल यादव के सगे भांजे एमएलसी अरविंद यादव को पार्टी से छह साल के निष्कासित कर दिया। अगले दिन तीन और एमएलसी और युवा संगठनों के अध्यक्ष मुलायम के कोप का शिकार बन गये। वहीं खुद को 'मुलायमवादी' कहने वाले अमर सिंह ने भी इस घटनाक्रम के बाद अचानक पैंतरा बदला और खुद को 'समाजवादी' बता डाला। मुलायम के रुख से साफ था कि वह परिवार की लड़ाई में अमर सिंह के साथ अपने रिश्तों की बलि नहीं चढ़ने देंगे। इसका नतीजा मंगलवार को तब देखने को मिला जब मुलायम ने खुद अपने हाथ से अमर सिंह को राष्ट्रीय महासचिव बनाने का आदेश लिखा और इसकी घोषणा कर दी गयी।

पहले भी रह चुके हैं महासचिव

करीब ख्क् साल पहले सपा का हिस्सा बने अमर सिंह इससे पहले भी राष्ट्रीय महासचिव के पद पर रह चुके हैं। साल ख्00फ् से ख्009 तक यह जिम्मेदारी संभालने के अलावा वे पूर्ववर्ती मुलायम सिंह यादव की सरकार में उप्र विकास परिषद के अध्यक्ष भी थे। साल ख्009 में लोकसभा चुनाव के दरम्यान उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। इसके बाद अमर सिंह ने गाहे-बेगाहे मुलायम पर अपनी भड़ास भी निकाली लेकिन मुलायम ने उनके खिलाफ कभी कोई बयान नहीं दिया। अखिलेश सरकार बनने के बाद अमर सिंह की नजदीकियां मुलायम से एक बार और बढ़ी और उनके पार्टी में वापस आने की चर्चाएं होती रही। अमर ने भी अपना सुर बदल लिया और खुद को 'मुलायमवादी' कहने लगे। हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव में मुलायम ने पुराने रिश्तों को अहमियत देते हुए अमर सिंह को टिकट देकर सांसद बनवाया। साथ ही जयाप्रदा को फिल्म विकास परिषद का उपाध्यक्ष बनाकर अमर सिंह की सारी नाराजगी भी दूर कर दी।