- विश्वमंगल की कामना से वर्ष 2008 में शुरू की ज्योतिर्लिगों की दंडवत यात्रा

- उम्र के 70 पड़ाव पार कर चुके पिता का संकल्प पूरा कराने में लगा बेटा

<- विश्वमंगल की कामना से वर्ष ख्008 में शुरू की ज्योतिर्लिगों की दंडवत यात्रा

- उम्र के 70 पड़ाव पार कर चुके पिता का संकल्प पूरा कराने में लगा बेटा

ajeet.pratap@inext.co.in

BAREILLY:

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BAREILLY:

आज जब लोगों के पास अपनों के लिए भी वक्त नहीं है। सवाल उठता है कि ऐसे में दौर में क्या कोई ऐसा भी है जो विश्व के मंगल के बारे में सोचेगा। जी हां ऐसे ही हैं पड़ोसी देश नेपाल के निवासी रामप्रीत यादव। जो विश्व मंगल के लिए घर-बार छोड़कर करीब आठ वर्षो से ज्योतिर्लिगों और दुर्लभ शिवालयों के दर्शन के लिए दंडवत यात्रा पर निकले हैं। उन्हें विश्वास है कि उनकी शिव भक्ति एक न एक दिन पूरे विश्व का मंगल करेगी। यहीं विश्वास उन्हें ताकत दे रहा है और उनके व्यक्तित्व पर बशर नवाज का यह शेर 'चाहते तो किसी पत्थर की तरह जी लेते, हमने खुद मोम की मानिन्द पिघलना चाहा बिल्कुल सटीक बैठता है।

अमरनाथ उनकी आिखरी यात्रा

नेपाल के जिला धनुषा अंचल जनकपुर तहसील के गांव रमदइया निवासी रामप्रीत यादव विश्व में एकता, सांप्रदायिकता के खात्मे और सत्ता की बजाय समाज के विकास की मनोकामना लेकर क्7 नवंबर ख्0क्भ् को नौंवी ज्योतिर्लिग के दर्शन दंडवत करने निकल पड़े। रामप्रीत का मानना है कि क्7 नवंबर ख्0क्भ् को शुरू की गई दंडवत अमरनाथ यात्रा उनकी आखिरी यात्रा है। वेडनसडे को वह यात्रा करते हुए बरेली पहुंचे। उन्होंने कहा कि उम्र के 70वें पड़ाव के बाद वह अन्य कोई यात्रा करने में सक्षम नहीं रहेंगे। वहीं, बीच में कोई घटना घटने से सौगंध अधूरी रह जाएगी।

बेटे के साथ अाखिरी बार

रामप्रीत की यात्रा में इकलौता बेटे संजय भी सहयोग कर रहे हैं। संजय के मुताबिक दो वर्ष की उम्र में मां का निधन हो गया। 8 वर्ष की उम्र से वह पिता संग यात्रा कर रहे हैं। वह साइकिल संभालता हैं। साइकिल पर खाद्य सामग्री, बिस्तर, बाबा अमरनाथ का बोर्ड, कपड़े, दैनिक उपयोग की सामग्री लदी हुई है। पिता के धार्मिक कृत्य पर गर्व है। पिता की इस मुहिम को उनके बाद भी जारी रखने का संकल्प ले रखा है। बता दें कि जब वह घर से चले थे एक रुपया जेब में नहीं था। भोजन की व्यवस्था राहगीरों से मिली मदद और विश्राम मंदिर, मस्जिद अथवा चर्च में कर लेते हैं। रामप्रीत ने बताया कि उनके इस कर्म को सभी धर्मो के लोग तहेदिल से स्वीकारते हैं।

हजारों किमी। चले पर थके नहीं

शिव में असीम आस्था रखने वाले शिव भक्त रामप्रीत ने बताया कि यात्रा की शुरुआत ख्008 में नेपाल के छीरेश्वर नाथ धाम से वैद्यनाथ की दंडवत यात्रा से की। दूसरी बार, वर्ष ख्009 में पशुपतिनाथ से वैद्यनाथ धाम तक, तीसरी वर्ष ख्0क्0 में पशुपतिनाथ से बैद्यनाथ धाम होते हुए रामेश्वर तक, चौथी वर्ष ख्0क्क् में पशुपतिनाथ से काशी विश्वनाथ धाम होते हुए रुद्रप्रयाग उत्तराखंड तक, पांचवीं वर्ष ख्0क्ख् में पशुपतिनाथ से वैद्यनाथ तक, छठवीं बार, वर्ष ख्0क्फ् में काठमांडू से पशुपतिनाथ होते हुए वैद्यनाथ धाम तक, सातवीं यात्रा ख् अक्टूबर वर्ष ख्0क्फ् में अमरनाथ धाम तक, आठवीं यात्रा बाबा बर्फानीश्वर धाम जम्मू कश्मीर में पूरी कर चुके हैं।