- मेडिकल कॉलेज से रेफर पेशेंट को ले गए निजी नर्सिग होम

- सांप के काटने से बिगड़ी थी शैलेष की हालत

GORAKHPUR: एंबुलेंस वालों के कमीशन का चक्कर पेशेंट के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। ट्युज्डे को एक एंबुलेंस वाले ने अपने कमीशन के चक्कर में एक बच्चे की जान ले ली। मंडे नाइट सांप काटने से गंभीर नौंवी के छात्र को जिला अस्पताल ने मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया। लेकिन एंबुलेंस चालक ने फैमिली मेंबर्स को झांसे में लेकर उसे मृत्युंजय हास्पिटल में पहुंचा दिया। उपचार के दौरान बालक की मौत हो गई। इसके बाद नर्सिग होम और एंबुलेंस वालों से सेटिंग का राज खुला। आरोपी ड्राइवर को हिरासत में लेकर पुलिस ने एबुलेंस को कब्जे में ले लिया। बालक के फैमिली मेंबर्स ने कैंट पुलिस को तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की।

होनहार की मौत से दहल गई फैमिली

खोराबार एरिया के जंगल केवटलिया निवासी गणेश कुमार की गांव में ही हार्डवेयर की दुकान है। उनके दो बेटों में छोटा शैलेश कुमार 14 नौवीं क्लास का स्टूडेंट था। मंडे इवनिंग करीब सवा पांच बजे वह दुकान पर गया। दुकान के पास झाड़ी से निकले सांप ने उसके पैर में काट लिया। शैलेष को लेकर फैमिली मेंबर्स डिस्ट्रिक्ट हास्पिटल पहुंचे। शाम को बालक को जिला अस्पताल ले जाया गया। वहां डॉक्टर्स ने हालत गंभीर बताकर बालक को मेडिकल कालेज ले जाने की सलाह दी। कैंपस में सरकारी एंबुलेंस नहीं मिली। प्राइवेट एबुलेंस वाले से चार सौ रुपए में मेडिकल कालेज जाना तय किया गया। मेडिकल कालेज जाने के बजाय गोलघर में जाम का हवाला देकर एंबुलेंस चालक ने गाड़ी मोड़ दी। खोआमंडी गली स्थित मृत्युंजय हास्पिटल में पेशेंट को ले गया। सवा सात बजे डॉक्टर्स ने मरीज को एडमिट करके उपचार शुरू कर दिया। रात में साढ़े आठ बजे बालक की मौत हो गई। नर्सिग होम संचालक से एंबुलेंस चालक की मिलीभगत का आरोप लगाकर लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया। शैलेष के घरवालों की तहरीर पुलिस कार्रवाई में जुट गई।

दोबारा पेशेंट लेकर पहुंचा, पकड़ा गया ड्राइवर

बालक की मौत का हंगामा शुरू होने के बाद दूसरा मरीज लेकर एंबुलेंस ड्राइवर अचानक पहुंच गया। लोगों ने उसको पहचान लिया। मरीज एडमिट होने के बाद पुलिस ने एंबुलेंस ड्राइवर को हिरासत में ले लिया। उसकी गाड़ी को कैंट थाना पर खड़ा कर दिया।

पहले भी हास्पिटल में जा चुका है एंबुलेंस ड्राइवर

जाफरा बाजार निवासी एंबुलेंस चालक आतिफ को हिरासत में लेकर पूछताछ में जुटी रही। आतिफ ने बताया वह डेढ़ माह से मोहल्ले के गुड्डू भाई की एंबुलेंस चला रहा है। मरीज के घरवालों ने उससे चार रुपए में मेडिकल कालेज के लिए तय किया था। गोलघर में जाम लगे होने से वह एंबुलेंस लेकर खोवा मंडी गली में मुड़ गया। नजदीक में अस्पताल देखकर घरवालों ने वहीं रोक दिया।

जिला अस्पताल और मेडिकल कालेज में पब्लिक की सुविधा के लिए एंबुलेंस की सुविधा मुहैया कराई गई है। जिला अस्पताल में दो एंबुलेंस के अलावा 108 नंबर की एंबुलेंस खड़ी रहती है। जिला अस्पताल से रेफर पेंशेट को सरकारी अस्पताल ले जाने सुविधा है। बावजूद इसके कैंपस और सड़क पर खड़े होने वाले एंबुलेंस का सहारा मरीजों को लेना पड़ता है।

मेडिकल कालेज में इमरजेंसी के सामने जमावड़ा

मेडिकल कालेज में इमरजेंसी के सामने पार्किंग बनी है। पार्किंग में एंबुलेंस चालकों का कब्जा है। मेडिकल कालेज से रेफर पेशेंट्स, पोस्टमार्टम हाउस से निकली डेड बॉडी ले जाने के लिए लोगों को एंबुलेंस की जरूरत पड़ती है। एंबुलेंस चालक उनसे खुलेआम रेट तय करते हैं। लोकल में कहीं भी जाने के लिए कम से कम पांच सौ रुपए और सौ किलोमीटर के दायरे में 17 सौ से लेकर दो हजार तक वसूलते हैं। इमरजेंसी के सामने खड़े होने वाले एंबुलेंस को मेडिकल कालेज प्रशासन नहीं हटवा पा रहा है।

जिला अस्पताल से सरकारी एंबुलेंस पेशेंट्स को सिर्फ मेडिकल कालेज पहुंचाएगी। मेडिकल कालेज से पेशेंट्स को एसजीपीजीआई या केजीएमसी रेफर कर किया जाता है। सरकारी एंबुलेंस पेशेंट को इन्हीं जगहों पर ले जाएगी।

डॉ। एचआर यादव, एसआईसी जिला अस्पताल

इमरजेंसी के सामने बनी पार्किंग में एंबुलेंस वाले अनाधिकृत रूप से खड़े होते हैं। उनको हटवाने के लिए दो बार एसओ गुलरिहा को पत्र लिखा जा चुका है। पूर्व एसओ अजय कुमार ओझा ने कार्रवाई की थी। वर्तमान थानेदार इसको लेकर गंभीर नहीं है। मेडिकल कालेज में सरकारी एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध है। उसका नंबर भी इमरजेंसी के बाहर बोर्ड पर लगाया गया है। यहां से रेफर पेशेंट को सरकारी एंबुलेंस सिर्फ केजीएमसी या पीजीआई ही ले जाएगी। किसी नर्सिग होम या अन्य संस्थान पर ले जाने की मनाही है।

डॉ। रामयश यादव, एसआईसी, नेहरू हास्पिटल, बीआरडी मेडिकल कालेज।

मेरे बेटे की हालत खराब थी। मैं उसको मेडिकल कालेज ले जाना चाह रहा था। एंबुलेंस चालक ने जाम के बहाने गाड़ी मोड़कर मृत्युंजय हास्पिटल पहुंचा दिया। वहां मेरे बेटे की मौत हो गई। मैंने पुलिस को सूचना देकर कार्रवाई की मांग की है।

गणेश कुमार, मृत बालक के पिता

आईएमए इस मामले को अपनी मीटिंग में उठाएगा। अगर कुछ हॉस्पिटल ऐसा कर रहे हैं तो आईएमए इसका विरोध करता है।

महेंद्र अग्रवाल, आईएमए अध्यक्ष