- एंबुलेंस की हालत देख मरीज ले जाने से इंकार कर रहे परिजन

- ट्रॉमा से दूसरे विभागों को शिफ्ट करते हैं मरीज

LUCKNOW: इलाहाबाद के रहने वाले 85 वर्षीय कालीबाबा को परिजनों ने गंभीर हालत में गांधी वार्ड में भर्ती कराया था। जहां से अल्ट्रासाउंड के लिए डॉक्टर्स ने शताब्दी हॉस्पिटल भेज दिया। जब ट्रॉमा से एंबुलेंस भेजी गई तो एंबुलेंस की हालत देख परिजनों की हिम्मत नहीं पड़ी कि वे इसमें कालीबाबा को ले जा सकें। उनके परिजनों ने ड्राइवर से कहा कि एंबुलेंस वापस ले जाएं क्योंकि उस एंबुलेंस में उनकी हालत बिगड़ सकती है।

फटे थे गद्दे, टूटी थी सीट

दरअसल जो एंबुलेंस मरीज के लिए लाई गई थी, उसमें पेशेंट के लेटने वाली सीट पर गद्दे आधे गायब थे। परिजनों के बैठने वाली सीट भी आधी टूटी हुई थी। उनके लिए दूसरी एंबुलेंस आई तो उसकी हालत उससे थोड़ी ही बेहतर थी। मजबूरी में उन्हें उसी एंबुलेंस से जाना पड़ा।

नहीं जाना एंबुलेंस से

ऐसे ही शताब्दी हॉस्पिटल में भर्ती रेखा को डॉक्टर्स ने सीटी स्कैन लिखा तो एंबुलेंस उन्हें ट्रॉमा सेंटर ले गई। लेकिन एंबुलेंस में दूसरे मरीजों के इंफेक्टेड ब्लड और गंदगी को वह सहन नहीं कर सकीं और दोबारा एंबुलेंस से जाने से इनकार कर दिया। मजबूरी में परिजन लौटते समय स्ट्रेचर से गए।

रहता है इंफेक्शन का खतरा

दरअसल केजीएमयू प्रशासन ने ट्रॉमा सेंटर से मरीजों को दूसरे विभागों में लाने ले जाने के लिए एंबुलेंस लगा रखी हैं। इनके लिए मरीजों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता। लेकिन मरीजों को दी जाने वाली ये नि:शुल्क सुविधा मरीजों को खूब झटके दे रही है। किसी में गद्दे गायब हैं तो किसी में सीट टूटी हुई है। सफाई तो कभी होती ही नहीं है। ऐसे में मरीजों और तीमारदारों को एंबुलेंस में बैठने के दौरान अपनी नाक पर रूमाल रखना पड़ता है। डॉक्टर्स के अनुसार इससे मरीजों को इंफेक्शन का भी खतरा बना रहता है।

वीआईपी के लिए एसी एंबुलेंस

संस्थान में सिर्फ एक ही एंबुलेंस ठीक है। वह भी नेशनल हाइवे अथारिटी ऑफ इंडिया ने केजीएमयू को डोनेट की थी। यह एंबुलेंस एसी है और इसमें मरीज के लिए सभी सुविधाएं हैं। लेकिन इसकी सुविधा सिर्फ वीआईपी मरीजों को ही मिल पाती है। सामान्य मरीजों को ये टूटी हुई एंबुलेंस ही उपलब्ध कराई जाती हैं।

केजीएमयू के पास हैं आठ एंबुलेंस

केजीएमयू में आठ एंबुलेंस हैं, जिनमें से एक वैन ट्रॉमा-2 में है। शेष सात गाडि़यां ट्रॉमा-1 और परिसर में चलती हैं। इसमें नेशनल हाइवे अथारिटी ऑफ इंडिया की गाड़ी को छोड़कर कोई ऐसी एंबुलेंस नहीं है जिसमें मरीजों को शिफ्ट किया जा सके।

ये एंबुलेंस 24 घंटे चलती हैं, जिनका बहुत रफ यूज होता है। एक दो एंबुलेंस में दिक्कत है, उन्हें जल्द ही ठीक करा लिया जाएगा।

- डॉ। एससी तिवारी,

सीएमएस, केजीएमयू