RANCHI: अलग-अलग अपराध के आरोप में राजधानी के बिरसा मुंडा जेल में बंद कैदी अब नया ट्रेड सीखेंगे। उन्हें किसान बनने का ट्रेनिंग दी जाएगी। करीब फ्0 वैसे कैदियों की एक टीम बनाई गई है, है जिन्हें च्अमृत कृषिच् ट्रेनिंग दी जाएगी। राज्य के इकलौते कृषि विश्वविद्यालय बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से तीन सदस्यीय वैज्ञानिकों की एक टीम होटवार जाकर समय-समय पर उन कैदियों को ट्रेनिंग देगी। इसकी औपचारिक शुरुआत हो गई है।

बाहर निकलकर बनेंगे स्वावलंबी

जेल आईजी सुमन गुप्ता के मुताबिक, जेल में बंद अधिकतर कैदी कृषि बैकग्राउंड से आते हैं। ऐसे में वे कौशल विकास के तहत च्अमृत कृषिच् सीख कर जेल से बाहर निकलने के बाद अपनी सामाजिक और आर्थिक उपयोगिता स्थापित कर सकेंगे।

क्ख्-क्भ् एकड़ जमीन में होगी खेती

बिरसा मुंडा जेल के सुपरिटेंडेंट अशोक चौधरी ने कहा कि इस ट्रेनिंग की प्रैक्टिकल जेल की क्ख्-क्भ् एकड़ जमीन पर होगी। इसी से जेल के लिए सब्जियां उगाई जाएंगी। अगर उत्पादन सरप्लस हुआ तो उसे आसपास के बाजार में भी भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि फिलहाल फ्0 कैदियों की एक टीम बनाई गई है, जिन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी।

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क्या है अमृत कृषि

यह अपने आप में अनूठी कृषि है, जिसमें फसल का लागत मूल्य कम हो जाता है। इसके साथ ही इससे उपजाने वाली सब्जियां पोषण के मामले में काफी समृद्ध होती हैं। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय मे अमृत कृषि के एक्सपर्ट सिद्धार्थ जायसवाल ने कहा कि इसके तहत अमृत जल और अमृत मिट्टी बनाई जाती है। इसके बाद अमृत मिट्टी के छह इंच लेयर को सामान्य खेत में बिछा दी जाती है। उसके बाद इसके लिए न तो किसी तरह के खाद की जरूरत होती है और न ही किसी तरह के कीटनाशक की। आजीवन मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।

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बीएयू की तीन सदस्यीय टीम तैयार

बीएयू के कुलपति परविंदर कौशल ने कहा की जेल आईजी ने कैदियों के प्रशिक्षण के लिए उन्हें कहा था, जिसके बाद यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की एक टीम बना दी गई है। इनमें सीएस सिंह, सिद्धार्थ जायसवाल और एमएस यादव शामिल हैं, जो समय-समय पर जाकर होटवार स्थित बिरसा मुंडा जेल में कैदियों को ट्रेनिंग देंगे।