- केजीएमयू में मरीजों के लिए नहीं खोले गए जन औषधि केंद्र

LUCKNOW: केजीएमयू में मरीजों को सस्ती दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। कारण यह है कि यहां जन औषधि केंद्र नहीं खोले गए हैं। सिर्फ अमृत फार्मेसी ही खोली गई है, जहां महंगी दवाएं ही दी जा रही हैं। दावा तो 60 फीसद सस्ती दवाओं का है लेकिन हकीकत यह है कि महंगी दवाएं ही 10 से 20 प्रतिशत सस्ती करके बेची जा रही हैं। जबकि इन दवाओं के सस्ते ब्रांड भी बाजार में उपलब्ध हैं।

नहीं खुला जन औषधि काउंटर

प्रदेश में करीब एक हजार से अधिक जन औषधि केंद्र खोले गए हैं। जहां महंगी दवाएं बहुत कम कीमत पर उपलब्ध हैं। लेकिन केजीएमयू में यह केंद्र नहीं खुले। सिर्फ अमृत फार्मेसी ही खोली गई। इसमें भी उन कंपनियों की दवाएं नहीं मिलती हैं, जिनके दाम कम हैं। डॉक्टर तो सस्ती दवाएं लिखते हैं लेकिन अमृत फार्मेसी में काफी देर इंतजार के बाद पता चलता है कि ये दवा यहां उपलब्ध नहीं है।

सिर्फ महंगे ब्रांड की दवाएं

ओपीडी में बैठे डॉक्टर्स ने बताया कि अमृत फार्मेसी से वह दवाएं नहीं दी जाती हैं जो लिखी जाती हैं। कई बार ये दवा बदल देते हैं। सस्ती कंपनी की दवा लिखो तो ये महंगी वाली दे देते हैं। जबकि जब फार्मेसी खुल रही थी तो कहा गया था कि ये सस्ती दवाएं ही देंगे। पढ़े लिखे मरीज तो बार बार दवा के बारे में पूछने आते हैं, लेकिन गरीब मरीज जान ही नहीं पाते कि उन्हें दूसरी कंपनी की महंगी दवा दे दी गई है।

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एक घंटे से ज्यादा का इंतजार-- फोटो अमरनाथ की

गुरुवार दोपहर एक बजे पुरानी ओपीडी के ग्राउंड फ्लोर में अमृत फार्मेसी में लंबी लाइन लगी थी। सवा घंटे बाद अतर्रा बांदा निवासी अमरनाथ का जब नंबर आया तो उन्हें सिर्फ एक दवा दी गई। जिसे देख उनकी पत्‍‌नी जमीन पर बैठ गई और बोलीं कि जब बीपी और डायबिटीज की दवा भी नहीं दोगे तो क्या दोगे। अमरनाथ ने बताया कि लगा था, यहां सस्ती दवा मिलेगी लेकिन इन्होंने तो एक घंटा लाइन में लगवाने के बाद कह दिया कि बाकी दवाएं हैं ही नहीं। अगर नहीं थीं तो परचा लेते समय ही बता देते।

बाक्स

दो-चार नहीं पूरा पत्ता लेना पड़ता है

ठाकुरगंज निवासी राम सेवक ने बताया कि वह किडनी की समस्या के कारण दिखाने आए थे। डॉक्टर ने पर्चे में दवा लिखी जब यहां उन्हें लेने आया तो पता चला कि आधी दवाएं ही मिलेंगी। दवाओं का पूरा पत्ता ही लेना पड़ेगा। क्या करें, मजबूरी है। दवा तो लेनी ही पड़ेगी।

छलका दर्द

40 मिनट के इंतजार के बाद बता रहे हैं कि आधी दवाएं हैं आधी बाहर से लो। पिछली बार बाहर से दवाएं ली थी, इस बार जो ये सस्ती दवाएं मिली हैं वह भी महंगी लग रही हैं। ये सामान्य दवाएं भी नहीं रखते हैं। बस बोर्ड लगा रखा है 60 परसेंट सस्ती दवाओं का।

मो। कलीम, सुल्तानपुर

सस्ती दवा के लिए यहां काफी देर से लाइन में खड़ा था। बाद में पता चला कि सिर्फ दो दवाएं हैं। मैंने ले ली। बाहर के मेडिकल स्टोर पर दूसरी दवा के लिए पर्चा दिखाया तो पता चला कि यहां दवा के लिए 50 रुपए ज्यादा ले लिए गए हैं। यहां दवा के नाम पर लूट हो रही है।

मैना गुप्ता, डालीगंज

यहां सामान्य दवाएं हैं ही नहीं। महंगी दवाएं ही यहां सस्ती बताकर बेची जा रही हैं। बाहर तो सभी दवाएं एक जगह ही मिल जाती हैं लेकिन यहां सारी दवाएं नहीं मिलती हैं। जिस दवा की सात टैबलेट लेनी होती हैं, उसका यहां पूरा 15 टैबलेट का पत्ता खरीदना पड़ता है। साथ ही यहां दवा वापस भी नहीं होती है।

मो। सलीम,