- महिला और चार साल की बेटी की मौत, फंदा टूटने पर बेटे की बची जान

- सुसाइड नोट में महिला ने बयां किया अपना दर्द

- बीए पास पत्नी और 8वीं पास पति के बीच होती थी नोक-झोंक

LUCKNOW: मडि़यांव में पति की बेवफाई से परेशान एक महिला ने अपने दो बच्चों के साथ फांसी लगाकर आत्महत्या की। एक बच्चे के फंदे की गांठ खुलने पर उसकी जान बच गई जबकि मां और बेटी की मौत हो गई। बेटे को इलाज के लिए हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। महिला ने आत्महत्या से पहले दो पन्ने का एक सुसाइड नोट भी लिखा है, जिसमें अपने पति की बेवफाई का जिक्र करते हुए आत्महत्या के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराया है। पुलिस मामले की पड़ताल रही है।

बच्चों के साथ लगाई फांसी

इंस्पेक्टर मडि़यांव संतोष कुमार सिंह ने बताया कि अलीगंज निवासी डॉ। अशोक का मडि़यांव स्थित मुबारकपुर नई बस्ती में मकान है, जिसमें 7 किराएदार रहते हैं। किराएदारों में रायबरेली, हरचंदपुर निवासी रमेश कुमार सोनी पत्नी चित्रा उर्फ बरखा (30) बेटी साक्षी (4) और बेटा अनुग्रह उर्फ रौनक (6) के साथ रहता है। परिवार का भरणपोषण के लिए रमेश मुबारकपुर चौराहे पर सब्जी का ठेला लगाता है। इंस्पेक्टर के मुताबिक मंगलवार शाम रमेश ठेला लेकर चौराहे पर चला गया। इधर जब काफी देर तक चित्रा व उसके बच्चे कमरे से बाहर नहीं निकले तो पड़ोसी किराएदार महिला ने आवाज लगाई। दरवाजा अंदर से बंद था। झांक कर देखा तो चित्रा दोनों बच्चों के साथ पंखे के सहारे प्लास्टिक के तार से लटक रही थी। उन्होंने इसकी सूचना रमेश व अन्य लोगों के साथ एंबुलेंस 108 को दी गई।

दरवाजा तोड़ कर उतारे शव

साथी किरायेदारों ने बड़ी मुश्किल से दरवाजा तोड़कर तीनों को फंदे से उतारा। सूचना पर पहुंची एंबुलेंस से तीनों को बीकेटी स्थित रामसागर मिश्र सौ शैय्या अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टर रोहित सिंह ने बताया कि चित्रा और साक्षी की अस्पताल लाने से पहले ही मौत हो गई थी जबकि रौनक का इलाज चल रहा है। पुलिस के अनुसार उसकी हालत में सुधार है और वह खतरे से भी बाहर है।

फंदे की गांठ खुलने से बची जान

पुलिस के अनुसार बरखा समेत तीनों पंखे के कुंडे से फंदा बनाकर लटकते मिले। बरखा ने दो रस्सी से तीन फंदे बनाए थे। एक रस्सी से वह खुद और बेटी साक्षी के साथ फंदा बनाकर फांसी पर लटकी जबकि दूसरी रस्सी का फंदा बनाकर बेटे रौनक को लटकाया। फंदा कसने पर बरखा और बेटी साक्षी की मौत हो गई जबकि दूसरी रस्सी का फंदा ढीला होने के चलते रौनक की जान बचाई जा सकी। फंदा पूरी तरह उसके गले में नहीं कस पाया था।

आई कंर्सन

सुसाइड नोट में दिखा बरखा का दर्द

मैं बरखा रमेश की बदनसीब पत्नी, मैं अपनी जिंदगी से हार चुकी हूं इसलिए अब मैं जीना नहीं चाहती हूं। मैं अपनी मौत की जिम्मेदारी खुद लेती हूं। इसमें किसी का कोई दोष नहीं है। जब किसी औरत की जिंदगी में उसे उसके पति का प्यार न मिले, पति किसी और को चाहता हो तो कोई पत्नी इसे बर्दास्त नहीं कर सकती है। ऐसे में साथ में रहने का क्या फायदा। जो अपनी गंदगी हरकतें छुपाने के लिए अपनी बीबी को गलत कहता हो।

'हमने चाहा तुमको तुमने चाहा किसी और को खुदा करे तुमने चाहा जिसको वो भी चाहे किसी और को'

हमारे रहते आपको खुशी नहीं मिली। अब आप हमारे जाने के बाद खूब खुश रहना। जो जी चाहे वो करना तुम्हारे दुख का काटा तुम्हारी जिंदगी से दूर हो जाएगा।

रमेश जी

आप की बदनसीब बीबी और बच्चे

बीए पास पत्नी और 8वीं पास था पति

पुलिस के अनुसार चित्रा उर्फ बरखा पढ़ी लिखी थी। वह बीए पास थी जबकि पत्नी रमेश केवल 8वीं पास था। जिसके चलते उसे कोई नौकरी नहीं मिली। वह सब्जी का ठेला लगता था। पढ़ी लिखी पत्नी होने के चलते भी दोनों के बीच अक्सर झगड़ा होता था। रमेश कई बार पत्नी पर शक भी करता था।