17 अप्रैल: प्रदोष व्रत। श्री महावीर जयंती। अनंग त्रयोदशी व्रत।

18 अप्रैल: गुरु हरिकिशन जोति जोत।

19 अप्रैल: हनुमान जयंती।

21 अप्रैल: वैशाख मासारंभ। शबे बरात।

यथार्थ गीता

गतसंगस्य मुक्तस्य ज्ञानावस्थितचेतस:। यज्ञायाचरत: कर्म समग्रं प्रविलीयते।।

अर्जुन, यज्ञ का आचरण ही कर्म है और साक्षात्कार का नाम ही ज्ञान है। इस यज्ञ का आचरण करके साक्षात्कार के साथ ज्ञान स्थित संगदोष और आसक्ति से रहित मुक्त पुरुष के संपूर्ण कर्म भली प्रकार विलीन हो जाते हैं। वे कर्म कोई परिणाम उत्पन्न नहीं कर पाते, क्योंकि कर्मो का फल परमात्मा उनसे भिन्न नहीं रह गया। इसलिए उन मुक्त पुरुषों को अपने लिए कर्म की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। फिर भी लोक संग्रह के लिए वे कर्म करते ही हैं और करते हुए भी वे इन कर्मो में लिप्त नहीं होते।

जब हनुमान ने चूर किया सत्यभामा, सुदर्शन चक्र और गरुड़ का अहंकार

हनुमान जी के इन गुणों को धारण कर आप भी बन सकते हैं ईश्वर समान