- विधि विधान से करें पूजन अर्चना, भगवान विष्णु का जातक करें ध्यान

- चंद्र ग्रहण का शत्रु और मित्र राशियों पर होगा अनुकूल प्रभाव, रहें सतर्क

BAREILLY:भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को एकदिवसीय अनंत चतुर्दशी व्रत का अनुष्ठान होगा। इस खास दिन भगवान विष्णु की कथा का विशेष महत्व होता है। इसी खास दिन गणेश चतुर्थी पर स्थापित गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन के बाद पंडालों में पूजन अर्चन को विराम दिया जाता है। ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक इस व्रत के नाम से लक्षित है कि यह अनंत फलदायी है। शास्त्रों में इस व्रत को केवल पुरुष को ही रखने का विधान है।

ऐसे करें पूजन-अर्चन

अनंत चतुर्दशी व्रत को धारण करने वाले जातक को कलश स्थापना करके उस पर कमल के समान बर्तन में कुश रखना चाहिए। इसके पास कुमकुम, केसर, हल्दी से रंगे कच्चे डोरे को रखकर उसकी गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य से पूजन करना चाहिए। इसके बाद अनंत भगवान का ध्यान कर शुद्ध अनंत धागा को अपनी दाई भुजा पर बांधनी चाहिए। जिसमें चौदह गांठ बनाई जाती है। जो चौदह लोकों का परिचायक होती है। इसे बांधकर जातक को 'अनंत सर्व नागानामधिप्र। सर्वकामद: सदा भूयात प्रसन्नाम भक्तानाम भयंकर:' का जप करना चाहिए।

चंद्र ग्रहण का योग

भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा के मौके पर देर रात कुंभ राशि में चंद्र ग्रहण होगा। फ्राइडे को रात 10.24 बजे से आधी रात 12.24 बजे तक प्रभावी रहेगा। चंद्र ग्रहण का प्रभाव सभी राशि के जातकों पर शत्रु और मित्र राशि के अनुकूल पड़ेगा। बाला जी ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषाचार्य पंडित राजीव शर्मा के मुताबिक ग्रहण का मोक्ष मीन राशि में फ्राइडे देर रात 2.24 बजे होगा। इस दौरान कन्या, कर्क, वृश्चिक और कुंभ राशि को मिश्रित फल प्राप्त होंगे। वहीं मेष, सिंह, धनु और मीन राशि के जातकों के साथ अनिष्ट होने की संभावनाएं हैं। उन्होंने शत्रु राशि के जातकों को सतर्क रहने और घर से बाहर निकलने से मना किया है।