PATNA: अब अनंत कुमार कभी सिताब दियारा नहीं जाएंगे। जेपी के इस गांव से उनका गजब का लगाव था। 11 अक्टूबर को वह कहीं और नहीं, सिताब दियारा में ही रहते थे। उसी दिन लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जन्म हुआ था। जेपी के घर पर अनंत घंटों बैठते थे। उनकी कोशिश से सिताब दियारा में विकास के कई काम हुए। यह सिलसिला 1990 से अबाध रूप से चल रहा था। उस साल बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए रथयात्रा निकाली थी। अनंत कुमार सह यात्री थे।

यात्रा में पहुंचे थे पहली बार

यात्रा जेपी के घर सिताब दियारा पहुंची। अनंत काफी उत्साहित थे कि उन्हें जेपी की जन्मभूमि का दर्शन हो रहा है। उसी दिन उन्होंने तय किया कि हर साल जेपी की जयंती पर सिताब दियारा आएंगे। यह क्रम इस साल टूटा। बीमारी की वजह से अनंत सिताब दियारा नहीं आ सके। अनंत में खो गए अनंत अब आएंगे भी नहीं, यह सिताब दियारा के लोगों को सालता रहेगा।

काफी अच्छी थी उनकी हिंदी

अनंत का जेपी से लगाव बेवजह नहीं था। वह दक्षिण भारत में जेपी आन्दोलन के बड़े सेनानी थे। इमरजेंसी के दिनों में छात्र थे। उन्हीं दिनों उनकी गिरफ्तारी हुई। जेल से निकले जनता पार्टी की सरकार बनाने में सक्रिय हुए। उन दिनों उनकी सक्रियता अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में थी। बिहार यात्रा के दौरान वह कदमकुआं स्थित जेपी निवास पर जाना नहीं भूलते थे। परिषद में रहने के दौरान उन्होंने हिन्दी पट्टी का भ्रमण किया था। उनकी हिन्दी इतनी अच्छी थी कि किसी को यह जानकर ताज्जुब होता था कि वे दक्षिण भारत के हैं।