पूरी दुनिया का दुलारा एंड्रॉयड

पूरी दुनिया के स्मार्टफोन मार्केट के 60 परसेंट पर एंड्रॉयड नाम के आपरेटिंग सिस्टम का कब्जा है। गूगल का यह ओएस स्मार्टफोंस की दुनिया में रिवॉल्यूशन लाने के लिए जाना जाता है। इसके यूजर्स को इसकी लत लग चुकी है और वे दिन रात अपने स्मार्टफोन से चिपके रहते हैं। मगर गूगल का ये सूरमा खुद ही कई कमियों से भरा पड़ा है। और कमियां भी ऐसी कि यूजर जान ले तो हक्का बक्का रह जाए। एंड्रॉयड के कई वर्जन मार्केट में मौजूद हैं जैसे जेलीबीन, जिंजरब्रेड, आइस्क्रीम सैंडविच, किटकैट आदि। गूगल दावा करता है कि एंड्रॉयड फ्री ऑफ चार्ज, एड सपोर्टेड, क्लाउड बेस्ड और हाइली कस्टमाइजेबल ओएस है। गूगल यहां तक दावा करता है कि उसका सिस्टम एप्पल से भी सिक्योर है मगर दुनिया भर में गूगल की सिक्योरिटी को लेकर कई इश्यूज सामने आए हैं। आज हम आपको बताते हैं कि गूगल के एंड्रॉयड में क्या सिक्योरिटी फ्लॉस हैं और आप उनसे कैसे बच सकते हैं।

खतरे में है आपकी इंफार्मेशन

जब आप अपने एंड्रॉयड डिवाइस पर गूगल एकाउंट के थ्रू साइन इन करते हैं, तभी गूगल आपसे पूछता है कि 'क्या आप अपना डाटा गूगल के साथ स्टोर करना चाहते हैं?Ó जिसका सीधा सा मतलब ये है कि आपके एप्लीकेशंस और उनके डाटा का बैकअप। मगर इसे ओके करने के कुछ टाइम बाद आप पाते हैं कि आपके कांटैक्ट्स और कैंलेंडर ऑटोमेटिकली गूगल सर्वर्स से सिंक हो चुके हैं। आपको लगेगा कि ये तो अच्छा ही है, मगर ये जान लीजिए कि ये सारा डाटा गूगल के सर्वर पर परमानेंटली स्टोर होता है, मतलब अगर आप अपने कांटैक्ट्स डिलीट भी करते हैं तो भी वो डाटा गूगल के पास हमेशा मौजूद रहता है। गूगल आपके फोन नंबर्स, कॉलिंग पार्टी नंबर्स, कॉल का टाइम और ड्यूरेशन, एसएमएस राउटिंग और आपके आईपी एड्रेस तक को लॉग करता है। जैसे ही आप अपने स्मार्टफोन पर डाटा कनेक्शन एक्टिव करते हैं, एंड्रॉयड सिस्टम एप्स आपके फोन का सारा डाटा कहीं भी भेज सकती हैं। मतलब किसी भी हैकर के लिए आपके डाटा तक पहुंचना कोई मुश्किल काम नहीं है। जुलाई 2013 में एफबीआई ने एंड्रॉयड यूजर्स को कई सिक्योरिटी थ्रेट्स से आगाह किया था। इस रिपोर्ट में 79 परसेंट एंड्रायड डिवाइसेज पर किसी न किसी तरह का वायरस अटैक होने की बात सामने आई थी।

आपकी हर हरकत पर है गूगल की नजर

गूगल दुनिया का सबसे ट्रस्टेड सर्च इंजन तो है ही, इसका स्मार्टफोन आपरेटिंग सिस्टम यानी एंड्रॉयड भी स्मार्टफोन्स की दुनिया में धूम मचा रहा है। गूगल अपने यूजर्स की डाटा स्टोरज पॉलिसीज को लेकर हमेशा से क्रिटिसिज्म का शिकार हुआ है। गूगल पर इससे पहले जीमेल यूजर्स की सीक्रेट इंफार्मेशन अपने लोकल सर्वर पर स्टोर करने को लेकर विवादों में फंस चुका है। गूगल के पास एंडवांस्ड सर्वर स्टोरज सिस्टम है जो पूरी दुनिया में फैला हुआ है। गूगल की किसी भी सर्विस को यूज करने वाले यूजर का सारा डाटा गूगल के इन्हीं सर्वर पर परमानेंटली स्टोर होता है और आप चाह कर भी उसे डिलीट नहीं कर सकते। गूगल आपकी सर्च हिस्ट्री से लेकर भेजे गए हर ईमेल को अपने सर्वर पर रखता है। अगर आप जीपीएस यूज करते हैं तो आपकी लोकेशन भी गूगल सर्वर्स पर सेव होती है। क्लाउड कम्प्यूटिंग के यूज से हैकर्स के लिए किसी यूजर का डाटा हैक करना बहुत आसान है।

ऐसे बचाएं अपनी प्राइवेट इंफार्मेशन

- अपने एंड्रॉयड ओएस में एक अच्छा एंटीवायरस जरुर इंस्टाल करें।

- किसी भी एप को डाउनलोड करते वक्त ये ध्यान रखें कि वो आपकी सिक्योरिटी को नुकसान तो नहीं पहुंचाएगा।

- अपनी कोई भी सीक्रेट इंफार्मेशन जैसे बैंक एकाउंट डिटेल्स, क्रेडिट व डेबिट कार्ड्स की डिटेल्स को एंड्रॉयड डिवाइस में न सेव करें।

- टाइम टू टाइम अपने एंड्रॉयड डिवाइस को अपडेट कराते रहें जिससे आप नए मालवेयर और वायरस से बचे रह सकें।

गूगल अपनी डाटा पॉलिसी को लेकर कई बार विवादों में फंस चुका है। एंड्रॉयड डिवाइसेज पर यूजर जो डाटा सेव करता है, वो गूगल के सर्वर्स पर सेव होता है। बिना लोकल सर्वर पर सेव किए क्लाउड स्टोरेज पॉसिबल नहीं है। ऐसे में यूजर डाटा वल्नरेबल हो जाता है।

सौरभ कुमार राव, आईटी एक्सपर्ट

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