आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि सामान्य दवाईयों में भी आमतौर पर जानवरों से बने हुए तत्व मौजूद होते हैं। एक शोध के मुताबिक कई टैबलेट और तरल दवाईयों में एक पदार्थ जेलेटिन का इस्तेमाल होता है, जो कि जानवरों की हड्डियों और खाल से बनता है।

पोस्ट-ग्रेजुएट मेडिकल जरनल के एक शोध में पाया गया है कि एक-चौथाई मरीज़ों को नहीं पता कि उन्हें दी जाने वाली दवाईयों में जेलेटिन होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दवाईयों के लेबल पर ये लिखा होना चाहिए कि उसमें जानवरों से बने तत्व हैं या नहीं।

ब्रिटेन के औषधि उद्योग की शाखा एबीपीआई के प्रवक्ता का कहना है कि यूरोपीय संघ के कानूनों के मुताबिक दवाईयों के पैकेट पर उसमें इस्तेमाल किए गए तत्वों की पूरी जानकारी दी जानी चाहिए।

जानकारी का अभाव

उन्होंने कहा, “मरीज़ों को ये पता होना चाहिए कि जो दवाई वो खा रहे हैं, उसमें कौन-कौन से तत्व हैं। अगर मरीज़ों को इस बारे में पता न हो कि उनकी दवाई में जानवरों से बने तत्व हैं या नहीं, तो वे अपने डॉक्टर या केमिस्ट से इस बारे में सलाह ले सकते हैं.”

टैबलेट, कैप्सूल और अन्य दवाईयों में कई तत्व ऐसे होते हैं जो इलाज के लिए ज़रूरी तो नहीं होते लेकिन दवाई के तत्वों को आपस में मिलाने के लिए इस्तेमाल होते हैं। इसके लिए आमतौर पर जेलेटिन का इस्तेमाल किया जाता है।

जब 500 मरीजों का सर्वेक्षण किया गया, तो पाया गया कि उनमें से करीब 40 प्रतिशत लोगों का कहना था कि वे शाकाहारी होने की वजह से ऐसी दवाईयों का सेवन करना पसंद नहीं करेंगें। हालांकि कई मरीज़ों ने कहा कि उन्हें ऐसी दवाईयां इसलिए लेनी पड़ती हैं, क्योंकि उनके पास कोई और चारा नहीं है।

उनका सुझाव था कि दवाईयां बनाने वाली कंपनियों को एक ‘सामग्री लिस्ट’ यानि सूची बनानी चाहिए जैसे कि खाद्य पदार्थों के लिए बनाई जाती है। साथ ही उनका कहना था कि अगर जेलेटिन का कोई विकल्प मौजूद हो, तो उसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

वेजिटेरियन सोसाइटी की प्रवक्ता लिज़ ओनील ने कहा कि उनके पास कई ऐसे मरीज़ों के फोन आते हैं जो इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उनकी दवाईयों में जानवरों के अंगों से बनाए गए तत्व इस्तेमाल होते हैं। उनका भी ये कहना है कि दवाईयों के पैकेट पर फिलहाल सामग्रियों की जानकारी नहीं दी जा रही है, जो कि चिंता का विषय है।

International News inextlive from World News Desk