-परसाखेड़ा चौकी इंचार्ज के साथ कार से किया था पीछा

-खिड़की बंद करने से सिपाही गिरा सड़क पर

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BAREILLY: योगीराज में भी पशु तस्करों का आतंक जारी है। फरीदपुर में एसआई मनोज मिश्रा की हत्या का दर्द अभी तक लोग भूले नहीं थे कि अब पशु तस्करों ने सिपाही की हत्या कर दी। फतेहगंज पश्चिमी टोल प्लाजा के पास पशु तस्करों ने सिपाही को पिकअप से कुचल दिया और मौके से फरार हो गए। पशु तस्कर कौन थे, वह कहां से आए थे, इसका पुलिस अभी तक पता नहीं लगा सकी है। वहीं सिपाही की हत्या से एक बार फिर से पुलिस की वर्किंग पर सवाल खड़े होने लगे हैं। एसएसपी पूरे मामले की जांच करा रहे हैं। पुलिस इंडस्ट्रियल एरिया के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाल रही है।

1998 बैच के सिपाही थे संजीव

अमरोहा डिस्ट्रिक्ट के देहरा अव्वलपुर, नौगंवा शादात निवासी संजीव कुमार पोशवाल पुत्र हरस्वरूप सीबीगंज थाना में एक साल से तैनात थे। 40 वर्षीय संजीव 1998 बैच के कॉन्स्टेबल थे और दो वर्ष पहले बरेली ट्रांसफर होकर आए थे। उनके परिवार में तीन भाई गोपीचंद, महकार सिंह और अनूप सिंह, पत्‌नी किंता, दो बेटे हिमांशु और दीपांशु हैं। हिमांशु बीएएमएस डॉक्टर है और दीपांशु बीएससी की पढ़ाई कर रहा है। संजीव की मौत से परिवार गमजदा है।

ट्यूलिया की ओर से आयी पिकअप

संजीव की परसाखेड़ा चौकी एरिया में रात में ड्यूटी थी। रात में चौकी इंचार्ज विक्रम सिंह और संजीव कुमार, परसाखेड़ा इंडस्ट्रियल एरिया में वैगनआर कार से गश्त कर रहे थे। पुलिस के मुताबिक यह कार इंडस्ट्रियल एरिया में गश्त के लिए इंडस्ट्रियल एसोसिएशन की ओर से दी गई है। एसआई विक्रम सिंह ने बताया कि गश्त के दौरान रात में रोड नंबर 5 प्लाईवुड फैक्ट्री के पास ट्यूलिया रास्ते से एक पिकअप गुजरी। पिकअप पर नंबर नहीं था, जब उन्होंने पिकअप को रुकने का इशारा किया, तो उसने गाड़ी भगा दी तो उन्होंने पिकअप का पीछा करना शुरू कर दिया। पिकअप में मवेशी भरे हुए थे।

वायरलेस पर नहीं दे सके सूचना

विक्रम सिंह के मुताबिक उनका वायरलेस सेट काम नहीं कर रहा था और न ही वायरलेस करने का मौका मिला। उन्हें लगा कि आगे फतेहगंज पश्चिमी में टोल प्लाजा पर गाड़ी रुकेगी तो उसे पकड़ लेंगे। जैसे ही पिकअप टोल प्लाजा के पास पहुंची कि कुछ दूर पहले ही ड्राइवर ने गाड़ी साइड में करके स्लो कर दी। इस पर दोनों कार साइड में लगाकर गाड़ी पकड़ने के लिए दौड़े। सिपाही संजीव पहले निकले और ड्राइवर से खिड़की खुलवाकर पकड़ लिया, लेकिन इसी दौरान ड्राइवर ने विंडो बंद कर दिया जो संजीव के सिर में लग गया और फिर उसने यू-टर्न करके गाड़ी भगा दी।

सबसे पहले हॉस्पिटल पहुंचाया

विक्रम की मानें तो संजीव को सड़क पर पड़ा देखकर उन्होंने तुरंत उसे हॉस्पिटल पहुंचाने के लिए हाइवे पर खड़ी एंबुलेंस को बुलाया और हॉस्पिटल लेकर दौड़े लेकिन रास्ते में उसकी मौत हो गई। इस दौरान वह वायरलेस ही नहीं कर सके। गाड़ी शहर की ओर ही भागी थी, लेकिन वह रास्ते में कहां गई, इस बारे में कुछ पता नहीं है। साथी की मौत के बाद से वह काफी परेशान हैं।

पुलिस लाइंस में दी सलामी

सिपाही संजीव की मौत से पुलिस महकमा भी गमजदा है। संजीव के परिजन भी पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। उसके बाद पुलिस लाइंस में संजीव के शव को श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान एडीजी जोन प्रेमप्रकाश, आईजी रेंज डीके ठाकुर, एसएसपी मुनिराज व अन्य पुलिस अधिकारी मौजूद रहे। पुलिस अधिकारियों ने संजीव के शव को कंधा दिया और उनके परिजनों को मदद का आश्वासन दिया।

गश्त के दौरान पिकअप का पीछा पुलिस ने किया था। टोल प्लाजा के पास गाड़ी स्लो होने पर सिपाही ने उतरकर ड्राइवर को पकड़ने की कोशिश की लेकिन ड्राइवर ने गाड़ी भगा दी, जिससे कॉन्स्टेबल की कुचलने से मौत हो गई। हत्या का केस दर्ज कर लिया गया है। वसूली जैसी बात सामने नहीं आयी है।

मुनिराज जी, एसएसपी


एसआई मनोज मिश्रा की भी कर चुके हत्या

बरेली में पहले भी कई पुलिसकर्मियों की पशु तस्करों ने ली जान

दो वर्ष सीबीगंज के सिपाही को हाइवे पर पशु तस्करों ने कुचला था

पशु तस्करों का आतंक बरेली में कोई नया नहीं है। बरेली में तीन वर्ष पूर्व 9 सितंबर 2015 को फरीदपुर के पदारथपुर में पशु तस्करों ने दबिश के दौरान एसआई मनोज मिश्रा की गोली मारकर हत्या कर दी थी। पुलिस ने 10 हत्यारोपियों को जेल भेजा था। 13 जून 2016 में सीबीगंज में बड़ा बाईपास पर पशु तस्करों ने पुलिस जीप में टक्कर मार दी थी, जिसमें कॉन्स्टेबल राजेश बाबू मिश्रा की मौत हो गई थी। इसमें एक एसआई व सिपाही घायल हो गए थे।

कई बार पुलिस पर हो चुके हमले

इससे कई बार पशु तस्करों ने ट्रक या अन्य वाहन से पुलिस को कुचलने की कोशिश की है। मनोज मिश्रा की हत्या के बाद भी इस पर लगाम नहीं लगी थी। 6 मार्च 2016 को फतेहगंज पश्चिमी एरिया में ही पशु तस्करों ने पुलिस जीप में टक्कर मार दी थी। उसके बाद कई बैरियर तोड़कर पशु तस्करों ने ट्रक रामपुर में एक मकान में घुसेड़ दिया था। 25 जून 2017 को ही कटरा से पशुओं से भरे ट्रक ने कई डिवाइडर तोड़े थे और अहलादपुर चौकी के पास पुलिस को कुचलने की कोशिश की थी।

धीरे-धीरे फिर शुरू तस्करी

सपा सरकार में तो खुलेआम पशु तस्करी हो रही थी और आए दिन पशु तस्कर भी पकड़े जाते थे। जब योगी की सरकार बनी तो पशु तस्करों पर पूरी तरह से रोक लगाने के आदेश दिए। शुरुआत में पुलिस ने पूरी सख्ती दिखाई, जिसकी वजह से पशु तस्करी में काफी कमी आयी। धीरे-धीरे योगी सरकार में फिर से पशु तस्करी शुरू हो गई। बस तस्करों ने अपने रूट बदल दिए और ट्रक की जगह छोटे वाहनों में ही मवेशी लेकर जाने लगे। यही नहीं घरों के अंदर ही पशुओं का कटाना होना शुरू हो गया। फरवरी माह में सीबीगंज एरिया में ही घर के अंदर पशुओं का कटान पकड़ा गया था। बारादरी में मोहल्ले से पशु चोरी करते हुए तस्करों को रंगे हाथ पब्लिक ने पकड़ लिया था। सुभाषनगर में बीजेपी का झंडा लगी गाड़ी में ही पशु तस्करी पकड़ी गई थी।

तो क्या वसूली के चक्कर में गई जान

सिपाही संजीव की मौत में पुलिस ने एसआई विक्रम सिंह की तहरीर पर हत्या का केस दर्ज कर लिया है लेकिन संजीव की मौत पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। क्या संजीव की मौत वसूली के चलते हुई है, क्योंकि इससे पहले भी पुलिसकर्मियों पर कई बार वसूली के आरोप लग चुके हैं। बताया यह भी जा रहा है कि जिस वक्त वारदात हुई, उस वक्त चौकी इंचार्ज गाड़ी में नहीं थे। उस वक्त गाड़ी कोई प्राइवेट शख्स अवधेश चला रहा था। यदि वह थे तो उन्होंने वायरलेस पर सूचना क्यों नहीं दी। वह दोनों अकेले ही पशु तस्करों को क्यों पकड़ने गए थे। हालांकि पुलिस अधिकारी इस बात से साफ इनकार कर रहे हैं।

चौकियों पर होती थी पोस्टिंग

बीते वर्षो में मीरगंज थाना एरिया और उसकी चौकियों में पुलिसकर्मियों की पोस्टिंग की भरमार रहती थी। इसकी वजह से पशु तस्करों से वसूली होती थी। यहां शिफ्ट में पुलिसकर्मियों की ड्यूटी रहती थी, लेकिन जबसे पशु तस्करी का धंधा मंदा हुआ, तो इन रूट के थाने व चौकियों में कोई भी पोस्टिंग नहीं कराते हैं और चौकियां खाली पड़ी रहती हैं। कुछ दिनों पहले एसएसपी ने सीबीगंज के सिपाही को पशु तस्करों से मिलीभगत में सस्पेंड भी किया था।