- आए दिन किसी न किसी एरिया में आवारा जानवर लोगों को कर रहे घायल

- एक सप्ताह पहले रसूलपुर में सांड़ के हमले से बुजुर्ग की हो गई थी मौत

GORAKHPUR: नगर निगम की लापरवाही ने शहर में लोगों का रास्ता चलना तक मुश्किल कर रखा है। गली-मोहल्लों में घूमते आवारा जानवर आए दिन किसी न किसी के लिए हादसे का कारण बन जा रहे हैं। नाली, कूड़ा और बिजली के बाद वार्डो की ग्राउंड रिपोर्ट की चौथी कैटेगिरी आवारा पशुओं के संबंध में भी शहर की ओवर ऑल स्थिति अच्छी नहीं है। पिछले एक साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो जहां दो दर्जन से अधिक लोग आवारा जानवरों के चलते घायल हो चुके हैं। वहीं, दो लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। वहीं, समस्या को काबू करने की जिम्मेदारों की कोशिश की बात की जाए तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर नगर निगम आवारा जानवरों को पकड़ने से मना कर दे रहा है। वहीं, अगर पकड़ने की कोशिश भी की जाती है तो पशु सुरक्षा से जुड़े संगठन सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर विरोध में उतर जाते हैं और निगम को अभियान बंद करना पड़ जाता है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने मंगलवार को जानी शहर में आवारा जानवरों की वर्तमान स्थिति।

यहां मिलता सिर्फ आश्वासन

आवारा जानवरों की समस्या को लेकर निगम की बोर्ड बैठक के दौरान कई बार हंगामा हो चुका है। दो साल पहले शहर में सांड़ के हमले से दो लोगों की मौत व एक व्यापारी के घायल होने पर बोर्ड बैठक में पार्षद व पूर्व उप सभापति जियाउल इस्लाम ने पोस्टर बनाकर लहराया था। उन्होंने मेयर और नगर आयक्त को इन हादसों का जिम्मेदार बताया था। इस दौरान बैठक में जमकर हंगामा हुआ। बाद में नगर निगम के जिम्मेदारों ने समस्या पूरी तरह दूर करने का आश्वासन दिया। लेकिन बावजूद इसके अभी तक इस दिशा में कोई ठोस कदम ही नहीं उठाया जा सका है। वहीं नगर निगम है कि शहर में आवारा जानवरों के कारण कोई बड़ी घटना होने पर कांजी हाउस के लिए जमीन तलाशने के निकलता है, लेकिन हर बार ये योजना हवा-हवाई ही साबित हो जाती है।

सांड़ के हमले से हुए बड़े हादसे

- सितंबर 2014 में बेतियाहाता के एक व्यक्ति का सांड के हमले में पैर टूटा

- अक्टूबर 2015 में गांधी गली में राम बाबू नामक एक व्यक्ति को सांड़ ने किया अधमरा

- 19 जनवरी 2015 को बसंतपुर निवासी बाबूलाल की सांड़ के हमले से मौत

- 26 जनवरी 2015 को घंटाघर में ओंकार और मंटू को एक सांड़ ने किया घायल

- 28 जनवरी को दीवान बाजार निवासी सुशील श्रीवास्तव की सांड़ के हमले में मौत

- 2 फरवरी को रेलवे स्टेशन पर सांड़ ने एक व्यक्ति को गंभीर रूप से किया घायल

- 11 फरवरी को निजामपुर के डॉ। मिर्जा बेग के घर की छत पर चढ़ी गाय

- मार्च में शिवपुर सहबाजगंज के राजेश सिंह को सांड़ ने किया घायल

- अगस्त 2016 में सांड़ के हमले से कूड़ाघाट के एक व्यापारी की मौत

- मार्च 2017 में राजेंद्र नगर एरिया में आधा दर्जन से अधिक लोग घायल

शहर की ये स्थिति

नगर निगम वास्तविक संख्या

आवारा जानवर - 1829 5000

गधे 36 200 से अधिक

डेयरी 277 300

पालतू जानवर 1768 4000

कुत्तों की संख्या 7500 9000

वार्डो में आवारा जानवरों की स्थिति की रेटिंग

वार्ड 1 से 10 - 4

11 से 20 - 2

21 से 30 - 3.2

31 से 40 - 2

41 से 50 - 3

शहर की ओवर ऑल स्थिति

1 से 50 वार्ड में - 2

यह हो तो सुधर जाएं हालात

- आवारा जानवरों को हटाने के लिए मोहल्लों में अभियान चले

- आवारा जानवरों को सड़क पर छोड़ने वालों पर कार्रवाई हो

- नगर निगम द्वारा जल्द से जल्द कांजी हाउस का निर्माण किया जाए

- नगर निगम शहर में घूम रहे आवार पशुओं को पकड़े

वर्जन

क्या कहते हैं मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ। मुकेश कुमार

सवाल - शहर की हर गली और सड़क पर आवारा जानवरों का राज है। इस संबंध में नगर निगम कुछ क्यों नहीं करता?

जवाब - नगर निगम के सामने आवारा जानवर पकड़ने की समस्या है। हम सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का उल्लघंन नहीं कर सकते हैं। इसके बाद भी आवारा पशुओं को हटाने का कार्य चल रहा है।

सवाल - शहर में आवारा जानवर लगातार लोगों को घायल कर रहे हैं। कांजी हाउस की योजना का क्या हुआ?

जवाब - नगर निगम के पास बहुत बड़ा कांजी हाउस नहीं है। ऐसे में अगर किसी एरिया से कोई कंप्लेन मिलती है तो वहां प्राथमिकता के आधार पर आवारा जानवर पकड़े जाते हैं।

सवाल - निगम के दावों के बाद भी शहर की सड़कों पर आवारा जानवर दिख रहे हैं?

जवाब - नगर निगम द्वारा 800 पशु मालिकों को नोटिस दिया गया है। ये लोग अपने घर में पशु पाले हुए हैं, जिन्हें दिन में सड़कों पर छोड़ देते हैं। नोटिस की अवधि पूरी होते ही कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

कॉलिंग

हम लोग हमेशा नगर निगम के अधिकारियों को आवारा जानवर पकड़ने के लिए पत्र लिखकर या मौखिक रूप से कंप्लेन करते हैं। लेकिन जिम्मेदार सुनते ही नहीं है। नगर निगम अगर शहर में आवारा जानवरों को पकड़ने का कार्य सही से करे तो यह स्थिति नहीं बन पाएगी।

- अमित केशवानी, व्यापारी

नगर निगम अगर सही से कार्य करे तो शहर में आवारा जानवरों की आधी समस्या समाप्त हो जाएगी। जो लोग अपने पालतू पशु सड़क पर छोड़ देते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई हो तो स्थिति सुधरेगी।

- आशुतोष सिंह, सर्विसमैन

वार्ड में सबसे अधिक परेशानी आवारा जानवरों के कारण होती है। मेन मार्केट में भी छुट्टा पशु घूमते रहते हैं और गलियों में लोग आधे रास्ते पर कब्जा करके जानवरों को बांध देते हैं। इसके चलते पब्लिक का रास्ता चलना तक मुश्किल हो गया है।

- संदीप कुमार प्रजापति, प्रोफेशनल

नगर निगम की लापरवाही है कि अभी तक शहर में आवारा जानवर घूम रहे हैं। पिछले दो साल से नगर निगम कागजों में कांजी हाउस बना रहा है, लेकिन अभी तक कहीं भी कांजी हाउस की नींव तो छोडि़ए, जमीन तक नगर निगम नहीं तलाश पाया है।

- अमरेंद्र कुमार, स्टूडेंट